जैतारण प्रजापत समाज कि हुंकार राजस्व मंत्री के खिलाफ एस.डी.एम.को ज्ञापन सौंपा
हिन्द सागर,राजूराम प्रजापत,जैतारण: राज्य सरकार ने नया अध्यादेश जारी कर राजस्व रिकार्ड मे कुम्हार और प्रजापत के साथ खिलवाड़ करते हुए प्रजापत या कुम्हार जाती को कुमावत जाती बताने पर पुरे राजस्थान मे प्रदेश स्तर पर प्रजापति कुम्हार समाज मे भारी नाराजगी देखी जा रही है। राजस्थान के हर जिले और तहसिल मुख्यालय पर मुख्यमंत्री और राजस्व मंत्री के खिलाफ ज्ञापन देकर प्रजापत समाज अपनी नाराजगी जाहिर कर रहा हैं दर असल कुछ दिनो पहले राजस्थान फुलेरा से विधायक रहे निर्मल कुमावत ने कांग्रेस सरकार के राजस्व मंत्री के साथ मिलकर २१.०९.२२ को अध्यादेश जारी कर राजस्व रिकार्ड मे कुम्हार प्रजापति जाति को कुमावत मानने का अध्यादेश जारी किया गया। तब से लेकर कांग्रेस सरकार के विरुद्ध प्रजापति समाज मे भारी नाराजगी देखी जा रही है।जैतारन क्षैत्र से प्रजापति समाज के क ई संगठन और संस्थाओ के मुखीया लोग आज उपखंड अधिकारी को मुख्यमंत्री और राजस्व मंत्री के नाम ज्ञापन सोपकर तुरंत प्रभाव से इस समाज विरोधि अध्यादेश को निरस्त कर राजस्व रिकार्ड मे कुम्हार प्रजापति जाति को यथावत रखने का अध्यादेश जारी करने कि पुरजोर मांग कि। और कहा कि आजादी से पहले कुमावत जाती का कोई राजस्व रिकार्ड नही है। जबकि प्रजापति कुम्हार जाती हजारो वर्षो आदिकाल से चली आ रही परंपरागत जाती है। जिसका वर्नन रामायणकाल और महाभारत काल मे भी मिलता है। हिरनयकशयप काल मे मां श्रीं यादे का उल्लेख प्रजापति जाति का प्रमाण है। राजस्व विभाग के विवादित आदेश को निरस्त करने की मांग को लेकर प्रजापत समाज जैतारण ने उपखण्ड अधिकारी के माध्यम से राज्यपाल, मुख्यमंत्री व राजस्व मंत्री के नाम ज्ञापन दिया और यदि विवादित आदेश निरस्त नही किया गया तो आगामी दिनों मे यह आंदोलन प्रदेश स्तर पर चलाया समाज जायेगा। हर जिले से समाज के प्रतिनिधि इसमे भाग लेंगे और तब तक आंदोलन चलेगा जब तक हमारी मांग नही मान ली जाती। आज कि रैली मे समाज के क ई प्रतिनिधि शामिल हुए जिसमे गोपाल प्रजापति लासनी सुनिल एडवोकेट,जवरीलाल बांजाकुडी, मांगीलाल आसरलाई,राकेश बाबरा,भीकाराम जनासनी, महेन्द्र वकिल,खियाराम ठाकरवास,दुदाराम फुलमाल, मंगलाराम लासनी,महाराम प्रजापति,रामेश्वर नयागांव, पपुलाल पाटवा,मललाराम कानेचा,सुखदेव जैतारन,पुनाराम लिथरिया,घेवरराम बांजाकुडी,मुन्नालाल सिनला के साथ सैकडो कि संख्या मे प्रजापत समाज के लोग शामिल थे।