कोरोना संक्रमण के मद्देनजर आर्थिक संकट के बावजूद मनपा के बजट में घोटाला

सत्ताधारी भाजपा ने दी 1814 करोड़ 81 लाख के बजट को मंजूरी

हिन्द सागर मीरा-भायंदर। मनपा ने पिछले वित्तीय वर्ष के सुधारित आर्थिक बजट को महज 1,192 करोड़ 77 लाख होना दर्शाने से यह स्पष्ट हो गया है कि सत्ताधारी भाजपा ने इसे करीब 500 करोड़ तक फुलाया था। वहीं इस बार कोरोना संक्रमण के मद्देनजर आर्थिक संकट होने तथा मनपा की आय पर इसका विपरीत असर होने के बावजूद सत्ताधारी भाजपा ने वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिए 1,841 करोड़ 81 लाख रुपये का आर्थिक बजट तैयार किया है, जिससे एक बार फिर सत्ताधारियों पर अपनी मनमर्जी के मुताबिक बजट में झोलझाल के आरोप लगने शुरू हो गए हैं। गौरतलब हो कि मीरा-भायंदर मनपा के वास्तविक राजस्व आय तथा अत्यावश्यक कार्यों को नजरअंदाज कर टेंडर व कमीशन के लिए बजट में झोलझाल किए जाने का आरोप कोई नया नहीं है। अपनी मनमर्जी के अनुसार कार्यों का निर्णय सत्ताधारियों द्वारा लिया जाता है, जबकि खर्च नगरसेवकों एवं पदाधिकारियों द्वारा अपने राजनीतिक प्रचार-प्रसार के लिए ज्यादा किया जाता है। वहीं प्रतिवर्ष मंजूर किए गए बजट वित्तीय वर्ष समाप्त होने पर जरूरत से अधिक फुलाया हुआ सुधारित बजट के रूप में हर बार सामने आता है। बावजूद इसके सत्ताधारी पार्टी तथा उनके छत्रपों की लालसा पर कोई लगाम नहीं लगती, और प्रतिवर्ष आर्थिक बजट सैकड़ों करोड़ रुपए फुलाकर ही तैयार किया जाता है। विदित हो कि मनपा में सत्ताधारी भाजपा ने वर्ष 2019-20 के लिए 1,704 करोड़ रुपये के आर्थिक बजट को मंजूरी दी थी, लेकिन गुरुवार को संपन्न हुई आनलाईन महासभा में सुधारित बजट वास्तविक तौर पर 1,192 करोड़, 77 लाख 75 हजार रूपये होना खुद सत्ताधारी पार्टी ने ही मान्य किया है। अर्थात बीते वित्तीय वर्ष में मनपा का आर्थिक बजट 500 करोड़ रुपये फुलाया होना स्पष्ट हो गया है। इस बार शहर में कोरोना संक्रमण के प्रादुर्भाव शुरू होने से पूर्व तत्कालीन मनपा आयुक्त चंद्रकांत डांंगे ने 2020-21 के वित्तीय वर्ष के लिए 1,634 करोड़ 55 लाख, 97 हजार रुपये का बजट स्थायी समिति के समक्ष प्रस्तुत किया था। जिसमें 270 करोड़ रूपये नवीन कर्ज लेने तथा महाराष्ट्र शासन की ओर से 580 करोड़ रुपये अनुदान मिलना अपेक्षित दर्शाया गया था। स्थायी समिति ने इसमें बढोत्तरी की थी, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते मनपा की महासभा हुई नहीं, लिहाजा मनपा आयुक्त द्वारा प्रस्तुत किए गए बजट को ही वास्तविक माना जा रहा था, जिसके मद्देनजर सत्ताधारी भाजपा ने आर्थिक बजट की मंजूरी के लिए जून महीने में महासभा बुलाई थी, लेकिन चौतरफा आलोचना होने पर महापौर ज्योत्सना हसनाले ने महासभा को रद्द कर दिया था। विरोधी पार्टियों की मानें तो सत्ताधारियों का आर्थिक हित वित्तीय बजट से जुडा होने के कारण अंततः ऑनलाईन महासभा आयोजित करने के लिए महापौर को विवश होना पडा। इस विशेष महासभा में मनपा के बीते वित्तीय वर्ष के सुधारित 1,192 करोड़ 77 लाख रुपये तथा वर्तमान वित्तीय वर्ष के 1,814 करोड़ 81 लाख रुपये के मूल बजट को सत्ताधारी भाजपा ने बहुमत के बल पर मंजूरी दे दी है। बता दें कि एक ओर मनपा की कर वसूली पर कोरोना संक्रमण के चलते विपरीत असर पडा है, वहीं दूसरी ओर शहर के व्यवसाय तथा भवन निर्माण की गतिविधियां ठप्प पडी हुई हैं। मनपा को केंद्र सरकार की ओर से मिलने वाले जीएसटी अनुदान तथा महाराष्ट्र सरकार की ओर से मिलने वाले मुद्रांक शुल्क अधिभार जैसी आय में भारी कमी होनी तय है। ऐसी विषम परिस्थितियों में भी सत्ताधारियों द्वारा बजट में करोडों रूपयों के झोलझाल के खेल के विरुद्ध कार्रवाई की मांग जोर पकड़ने लगी है।


महासभा में बोलने न देने पर भाजपा नगरसेवक नाराज

करीब पांच महीने बाद आयोजित हुई महासभा के बावजूद अपना पक्ष रख पाने का मौका नहीं मिलने पर सत्ताधारी भाजपा के ही कई नगरसेवकों ने नाराजगी जताई है। वरिष्ठ भाजपा नगरसेविका रीटा शाह को महासभा में अंत तक अपना पक्ष रखने का मौका नहीं मिला, जिससे खिन्न होकर उन्होंने झूम ऐप पर लिखित रूप से नाराजगी जताई। खाली ऐकाध नगरसेवक को ही यदि बोलने का मौका देना है तो आगे की महासभा में हमें न बुलाएं, यह लिखकर उन्होंने अपना रोष जताया। भाजपा नगरसेविका वर्षा भानुशाली को भी नहीं बोलने दिया गया, जबकि ध्रुवकिशोर पाटिल तथा प्रशांत दलवी, इन दोनों नगरसेवकों को महापौर ने बार-बार बोलने का अवसर प्रदान किया। बोलने का अवसर न मिलने पर शिवसेना की गुटनेता नीलम ढवण तथा कांग्रेस के गुटनेता जुबेर इनामदार ने भी अपनी नाराजगी व्यक्त की।