नई दिल्लीः मैराथन बातचीत के बाद कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) मे सोमवार को सोनिया गांधी को पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष बने रहना तय किया गया। साथ ही संगठनात्मक बदलाव के लिए अधिकृत किया गया। पार्टी की शीर्ष नीति निर्धारण इकाई ने सोनिया गांधी को कुछ नेताओं द्वारा लिखे गए पत्र की पृष्ठभूमि से अवगत कराया गया। इसमें नेताओं को कांग्रेस का अनुशासन एवं गरिमा बनाए रखने के लिए अपनी बातें पार्टी के मंच पर रखने की नसीहत दी गई, साथ ही यह हिदायत देते हुए कहा गया कि किसी को भी पार्टी एवं इसके नेतृत्व को कमजोर करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। इससे पहले सीडब्ल्यूसी की बैठक आरंभ होने के साथ ही सोनिया ने पद छोड़ने की पेशकश की और कहा कि सीडब्ल्यूसी नया अध्यक्ष चुनने के लिए प्रक्रिया आरंभ करे। इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कुछ अन्य नेताओं ने उनसे आग्रह किया कि वह पद पर बनी रहें।
सीडब्ल्यूसी की बैठक के बाद पारित प्रस्ताव में कहा गया है, ”पार्टी के अंदरूनी मामलों पर विचार-विमर्श मीडिया के माध्यम से या सार्वजनिक पटल पर नहीं किया जा सकता है। कांग्रेस कार्य समिति ने सभी कार्यकर्ताओं व नेताओं को राय दी कि पार्टी से संबंधित मुद्दे पार्टी के मंच पर ही रखे, ताकि उपयुक्त अनुशासन भी रहे और संगठन की गरिमा भी बनी रहे।
सीडब्ल्यूसी ने निवेदन करते हुए कहा कि कोरोना काल में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अगला अधिवेशन बुलाए जाने तक वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष के गरिमामय पद पर रहकर पार्टी का नेतृत्व करें।” प्रस्ताव में कहा गया कि ”पिछले छह महीनों में देश पर अनेकों विपत्तियां आई हैं। देश के सामने आई चुनौतियों में एक कोरोना महामारी है। तेजी से गिरती अर्थव्यवस्था व आर्थिक संकट, करोड़ों रोजगारों का नुकसान एवं बढ़ती गरीबी तथा चीन द्वारा भारतीय सीमा में घुसपैठ व कब्जे के दुस्साहस का संकट है।”
इससे पहले सीडब्ल्यूसी की बैठक आरंभ होने के साथ ही सोनिया ने पद छोड़ने की पेशकश की और कहा कि सीडब्ल्यूसी नया अध्यक्ष चुनने के लिए प्रक्रिया आरंभ करे। इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कुछ अन्य नेताओं ने उनसे आग्रह किया कि वह पद पर बनी रहें।
आज हर कांग्रेसी कार्यकर्ता एवं नेता की जिम्मेदारी है कि वह भारत के लोकतंत्र, बहुलतावाद व विविधता पर मोदी सरकार द्वारा किए जा रहे कुत्सित हमलों का डटकर मुकाबला करे।’ सीडब्ल्यूसी ने कहा, ” हमारे इन दोनों नेताओं की बुलंद आवाज ने, कांग्रेस के अंदर व बाहर, भारतीयों को देशवासियों के साथ खड़े हो भाजपा सरकार से जवाबदेही मांगने व सवाल पूछने के लिए प्रेरित किया है, जबकि सरकार जनता को अपने खोखले व स्वनिर्मित मुद्दों में उलझाकर रखना चाहती है।”