
(हिन्द सागर ब्यूरो- मीरा भयंदर)
चतुर्भुजा शिवसागर पाण्डेय
हिन्द सागर ठाणे: कोरोनावायरस के कारण हुए संचार बंदी के बाद अनलॉक प्रक्रिया दो के दौरान बिजली कंपनियों द्वारा आम जनता पर 10 से 20 प्रतिशत ज्यादा बिजली बिल दिया जा रहा है। इस बात को लेकर जनता मे बडा आक्रोश है।
ज्ञात हो कि संचारबंदी के समय भी अनुमानित बिजली बिल जनता को डिजिटल माध्यम से भरने को कहा जा रहा था। अब मीरा भायंदर की आम जनता अप्रत्याशित रूप से बढे बिजली बिल को पाकर हैरान और परेशान है। पूरे भारत में 3 महीने से चल रहे संचार बंदी के बाद जहाँ अनलॉक प्रक्रिया शुरू हो गई है वहीं स्थानीय निकाय के नवनियुक्त आयुक्त ने जनता को पुन: संचार बंदी में धकेल दिया है। अब जनता के बीच से ऐसी आवाज उठ रही है कि परेशान लोग जीवन यापन के लिए जरूरी सामान एकत्रित करें या बिजली का बिल भरें। आम जनता के इसी परेशानी को लेकर शिवसेना प्रवक्ता शैलेश पाण्डेय ने लिखित पत्र द्वारा मौजूदा शिवसेना विधायक प्रताप सरनाईक तक पहुँचाया। प्रताप सरनाईक ने मामले की गंभीरता को देखते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर मीरा भायंदर की जनता को राहत देने की मांग की है।
महापौर ने किया बिजली कंपनी के प्रतिनिधियों से चर्चा
जनता के बीच बिल को लेकर बढते आक्रोश को देखते हुए महापौर, उपमहापौर ने दोनों बिजली कंपनियों अडानी व टाटा के प्रतिनिधियों से इस समस्या पर चर्चा किया। चर्चा के बीच की जानकारी देते हुए उपमहापौर ने कहा कि बिजली कंपनियों से बात किया गया है वो लोग एक बार पुन: बिल की समीक्षा करेगें, इस बीच किसी का बिल ज्यादा पाया जाएगा तो उन्होंने उसके बिल में सुधार करने का आश्वासन दिया है।
बिजली कंपनी का दलील
बिजली कंपनियों का कहना है कि संचारबंदी के समय अनुमति बिल डिजिटल माध्यम से भेजा जा रहा था जिसको अधिकाँश लोगों ने नहीं भरा है। बिजली बिल पहले से निर्धारित दरो पर ही दिया गया है इस बीच जो बिजली बिल मे बढोत्तरी हुई है वो वर्क फ्रॉम होम के चलते हुई है। फिर भी अगर किसी को बिल से शिकायत होगा तो उसको समझाया जाएगा।
मनपा प्रशासन के गोलमोल रवैये पर शैलेश पाण्डेय ने उठाया आवाज
मनपा प्रशासन तथा बिजली कंपनियों द्वारा खेले जा रहे इस खो-खो खेल पर शिवसेना प्रवक्ता शैलेश पाण्डेय ने विरोध जताते हुए कहा कि लाँकडाउन के दौरान रोजमर्रा का जीवन जीने वाले सभी काम न होने के कारण बुरी तरह से परेशान हैं। मध्यम वर्गीय परिवार कर्जे मे डूब चुका है। मनपा सत्ता में बैठे लोग बिजली कंपनियों के साथ अंताक्षरी खेलने मे लगे हुए हैं। कंपनियां कहती हैं कि हमारा बिजली बिल सही है जबकि कई नागरिकों की शिकायत है कि उनका इस माह का बिल एक साल के बिजली बिल के बराबर आया है। ऐसे में जनता को राहत पहुंचाने के लिए मनपा प्रशासन को बडे फैसले लेना चाहिए।