संबंध और बिगड़े तो टूटेगी नेपाली अर्थव्यवस्था की कमर

संबंध और बिगड़े तो टूटेगी नेपाली अर्थव्यवस्था की कमर, भारत-नेपाल सीमा से ग्राउंड रिपोर्ट

भारत और नेपाल के बीच संबंध और बिगड़े तो नेपाली अर्थव्यवस्था की कमर टूट जाएगी। वर्तमान समय में दोनों देशों के बीच व्यापार में 40 फीसदी तक गिरावट आई है। इसी कारण हमेशा भीड़ से गुलजार रहने वाले बहराइच का रुपईडीहा कस्टम कार्यालय पर सन्नाटा पसरा है। 

दरअसल, नेपाल में आय का मुख्य स्रोत पर्यटन है। भारत हमेशा से नेपाल को नमक, अनाज, सब्जी, दवा और पेट्रोलियम पदार्थों की आपूर्ति करता रहा है। अब वह कपड़े के लिए भी भारत पर निर्भर है। 
स्थानीय टैक्स न होने के कारण भारत से ही गया सामान नेपाल में हिंदुस्तान से सस्ता है। इसीलिए बड़ी संख्या में भारतीय यहां खरीदारी करने जाते हैं। शराब और कसीनो के चाहने वालों के अलावा प्रतिवर्ष कैलास मानसरोवर और पशुपतिनाथ मंदिर समेत अन्य धार्मिक स्थलों के दर्शन की लालसा पाले लाखों भारतीय नेपाल की यात्रा करते हैं।
श्रावस्ती से नेपाल को होती है अरबों रुपये की आय : नेपाल के पियुथान जिले में भगवान शिव का प्रभुनाथ और मस्तांग में मुक्तिनाथ वैष्णव मंदिर है। यहां श्रावस्ती से ही प्रतिवर्ष अस्सी से नब्बे हजार लोग जाते हैं। इससे नेपाल को अरबों रुपये की आय होती है। यदि देवीपाटन मंडल का हिस्सा मिला लिया जाए तो लगभग साढ़े तीन लाख श्रद्धालु प्रभुनाथ, पोखरा व मुक्तिनाथ धाम की यात्रा करते हैं। 


लखनऊ, कानपुर समेत अन्य जिलों से हर रविवार हजारों पर्यटक नेपालगंज, बढ़नी, पाल्पा व भैरवा जाते हैं। ये औसतन बीस से पच्चीस हजार रुपये खाना व रहने के नाम पर खर्च करते हैं। इसके अतिरिक्त खरीददारी और नेपाल सरकार द्वारा भंसार व पर्यटन टैक्स के नाम पर ली जाने वाली रकम अलग है।  मानसरोवर जाने का रास्ता भी नेपाल से ही है। श्रद्धालु उत्तर पश्चिम में कर्णाली प्रांत स्थित हुमला जिले से यात्रा प्रारंभ करते हैं। पूरी यात्रा में दो-तीन हफ्ते लगते थे, इससे नेपाल के होटल और रिसॉर्ट मालिकों को खूब आय होती थी। 

भारतीयों से गुलजार रहते हैं नेपाल के कसीनो 
भारत से बिगड़ते संबंध और कोराना महामारी को देखते हुए गोंडा, बहराइच व बलरामपुर सहित अन्य क्षेत्रों के पर्यटकों का भी आवागमन बंद है। वहां के कसीनो में यूपी के लखनऊ, बाराबंकी व कानपुर के अलावा बिहार और नई दिल्ली तक के पर्यटक जाते थे।

इससे नेपालगंज के होटलों, पर्यटन उद्योग, कैसिनो और ट्रेवल एजेंसियों को खूब मुनाफा होता था, नेपालगंज के फोल्टी होटल के कसीनो मझोंग के संचालक नरेश भटराई व स्नेहा होटल के कसीनो रोलेट के संचालक लक्ष्मण भट्ट और सुलोचना का कहना है कि उनके यहां कसीनो में रोज तीस से चालीस करोड़ का कारोबार होता था।

इसी तरह होटल वाटिका, कृष्णा कॉटेज, होटल ट्रेवेल विलेज, कल्पतरु, सिद्धार्थ, सिटी इंटरनेशनल व अशोका होटल में भी रोज अरबों का कारोबार होता था। उनका कहना है कि नेपाल लगभग सभी कसीनो व रेस्टोरेंट भारतीय पर्यटकों से गुलजार थे।