श्री प्रजापत समाज नवयुवक मंडल ट्रस्ट बेंगलुरू साउथ का वार्षिकोत्सव कुम्भ महोत्सव का हुआ शुभारंभ
भव्य विशाल कलश यात्रा शोभा यात्रा में भक्तिमय हुआ
शुभ लग्न में सामूहिक विवाह संपन्न
हिन्द सागर, बेंगलुरू : बेंगलुरू शहर में श्री प्रजापत समाज नवयुवक मंडल ट्रस्ट बेंगलुरू साउथ कोतनूर धिन्ने की ओर से श्री श्रीयादे माताजी मंदिर की 12 वी वर्षगांठ (कुम्भ अभिषेक महोत्सव) पर दो दिवसीय आयोजन का शुभारंभ आज सुबह छह बजे श्री श्री 1008 श्री हुक्म भारतीजी महाराज और श्री श्री 1008 श्री सुरेन्द्रदासजी महाराज का बंधावना के साथ कलश यात्रा का शुभारंभ गायत्री मंदिर से श्रीयादे माता के समक्ष दीप प्रज्वलित, कर गाजे बाजो के साथ शुरू हुई। कलश यात्रा के साथ माताजी की तस्वीर के सामने अखंड ज्योत भी चली। कलश यात्रा में 550 महिलाएं सिर पर कलश लेकर गायत्री मंदिर से श्री श्रीयादे माताजी मंदिर पहुची, कलश यात्रा मैं पारम्परिक राजस्थानी गेर नृत्य, झांकी मैं गुरुवर और सामुहिक विवाह की कन्याओं को बिठाकर शोभायात्रा निकाली। मंदिर में मुख्य हवन दश बजे शुरू हुआ जिसमें बड़ी संख्या में जयमानों ने आहूति दी। कलश यात्रा में समाज बंधुओ ने गुलाल व पूष्प बरसाकर स्वागत किया माताजी के जयकारे लगाए महिलाओं पुरुष सभी माताजी के जयकारा लगाते हुए चल रहे थे पूरा माहौल भक्ति मय हो गया। इस महोत्सव में महिलाए और पुरुष पारम्परिक राजस्थानी वेषभूषा के साथ हजारों की संख्या में महिला व पुरुषों की उपस्थिति से मैले जैसा माहौल का वातावरण बन गया। दूर दूर तक लोग ही लोग नजर आरहे थे। दोपहर को संत श्री श्री 1008 श्री हुकम भारतीजी महाराज व संत सिरोमणी श्री श्री 1008 सुरेन्द्रदासजी महाराज, के पावन सान्निध्य में विशाल भजन संध्या का आयोजन हुआ। सर्वप्रथम भजन गायक कलाकार तरुण प्रजापत ने गणेश वंदना से भजनों का आगाज किया श्री यादे सेवा में बेठी, श्री यादे माताजी मंदिर में गालियों हिंडोलो, गुरुजी के भजन सुनाए महिलाए पुरुष झूम उठे। अशोक प्रजापत बालोतरा, परमेश्वरी प्रजापति, अणदाराम, सुरेश पारिख एण्ड पार्टी की ओर से माताजी, गुरुवाणी, भैरुजी, रामदेवजी राजस्थानी लोक भजनों की प्रस्तुति देकर श्रद्धालुओ को नाचने पर मजबूर कर दिया। मुख्य अतिथियों का स्वागत किया गया। कर्नाटक से अलग अलग शहरों से बसों में सवार होकर बड़ी संख्या लोग अपने परिवार के साथ इस सम्मलेन में उपस्थित हुए। संस्था के अध्यक्ष जीवाराम घोडेला ने विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा की प्रवासियों को अपनी संस्कृति को कभी नही भूलना चाहिए हमे गर्व है कि हमारी जन्म भूमि राजस्थान है जिसकी पहचान ही संस्कृति है। भजन संध्या मै चढ़ावे बोले गए चढ़ावे माताजी के तिलक का चढ़ावा श्यामलाल सुरेश कुमार मांगीलाल कालबाल, माताजी के हार का चढ़ावा सुखलाल खरेडीया, माताजी के आरती का चढ़ावा जगदीश अजमेरीया, सत्संग भाव का चढ़ावा इन्दाराम राठोलिया,कबुतर चुगा चढ़ावा सुरेश कुमार हाटवा, महा प्रसादी चढ़ावा कानाराम मुलेरा, मन्दिर पट खोलना चढ़ावा पारसमल ब्रान्दणा, माताजी के चुन्दडी़ का चढ़ावा हरीराम बेतेडीया मंच संचालन राजू भाई माली बालोतरा ने किया। सामुहिक विवाह की पांचौ कन्याओं का शूभ लग्न में पंडितजी ने विवाह संपन्न करवाया। समाज के सभी सदस्यों ने सपरिवार माताजी के प्रसाद ग्रहण किया ।