हिन्द सागर, मुंबई: ठाकरे को सत्ता से बेदखल करने और शिवसेना पर भी उनकी दावेदारी को कमजोर करने के बाद एकनाथ शिंदे गुट ने अब एनसीपी चीफ शरद पवार को करारा झटका दिया है। एनसीपी के सीनियर नेता और शरद पवार के करीबी रहे अशोक गावडे ने पार्टी छोड़कर एकनाथ शिंदे गुट के साथ जाने का फैसला लिया है।
उन्होंने बुधवार को ही अपने समर्थकों के साथ मीटिंग की थी और उसके बाद एकनाथ शिंदे संग जाने का फैसला लिया था। दो दिन पहले ही अशोक गावडे ने एनसीपी से इस्तीफा दे दिया था। इस बीच गावडे ने पार्टी छोड़ते ही पूर्व मंत्री जितेंद्र आव्हाड, विधायक शशिकांत शिंदे और अन्य नेताओं पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि इन लोगों ने एनसीपी की नवी मुंबई यूनिट ने अपना दखल बढ़ा लिया था।
अशोक गावडे ने कहा कि एनसीपी में गुटबाजी पैदा हो गई है, यह सब मैं कई दिनों से झेल रहा हूं। उन्होंने कहा कि इसकी शिकायत समय-समय पर वरिष्ठ नेताओं से भी की है, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। गावडे ने कहा कि ऐसा नहीं है कि मैं आज इस्तीफा दे रहा हूं क्योंकि मैं इस गुटबाजी से तंग आ चुका हूं। मैंने दो साल पहले विष्णुदास भावे थिएटर में कार्यकर्ताओं की बैठक में भी इस बारे में बात की थी। अशोक गावडे ने कहा कि चूंकि मैंने एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले के सामने सार्वजनिक टिप्पणी की थी। इसलिए मुझे साइडलाइन कर दिया गया। उन्होंने कहा कि मैंने बार-बार वरिष्ठों से बात की है, लेकिन कुछ नहीं हो रहा है इसलिए मैं आखिरकार इस्तीफा दे रहा हूं।
मुश्किल वक्त में खड़े थे साथ, अब देने जा रहे हैं बड़ा झटका
उन्होंने कहा कि मैंने तो पार्टी के बुरे दिनों में निस्वार्थ भाव से काम किया था। बता दें कि तीन साल पहले जब विधायक गणेश नाईक ने नवी मुंबई यूनिट के तमाम नेताओं को लेकर भाजपा जॉइन की थी तो गावडे ने ऐसा करने से इनकार कर दिया था। लेकिन अब उनका फैसला मुंबई जोन में शरद पवार की पार्टी को बेहद कमजोर करने वाला है। एनसीपी पहले ही मुंबई समेत तमाम शहरी इलाकों में बहुत ज्यादा मजबूत नहीं रही है। हाल ही में गावडे को हटाकर नामदेव भगत को नवी मुंबई का एनसीपी चीफ बनाया गया था। इसके बाद से ही गावडे पार्टी से नाराज चल रहे थे। उनकी नाराजगी इस बात पर थी कि एक साल पहले ही शिवसेना से आए नामदेव को उनकी जगह पर जिम्मेदारी दी गई है।
गावडे के जाने से शरद पवार को लगेंगे और झटके
माना जा रहा है कि गावडे का जाना थोड़े और झटके दे सकता है। उनके साथ ही बेटी सपना गावडे भी पार्टी छोड़ सकती हैं। इसके अलावा कुछ पूर्व पार्षद भी एनसीपी से परे जा सकते हैं। इससे एकनाथ शिंदे औऱ भाजपा को बीएमसी चुनाव से ठीक पहले बड़ी मदद मिलेगी। इसके अलावा विधानसभा चुनाव में भी इन्हें फायदा मिलेगा। जितेंद्र अव्हाड ने कहा कि हमें पहले ही पता चल गया था कि गाडगे पार्टी छोड़ सकते हैं। उनसे इस बारे में बात की गई थी तो पता चला कि उन्होंने पूरा मन बना लिया है कि पार्टी छोड़ देंगे। इसके बाद उनकी जगह पर नामदेव भगत को नवी मुंबई के अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई।