रेवड़ी बांटने में एक से बढ़कर एक

✓ मोदी के विचारों से इत्तेफाक नही रखतीं हैं उनकी ही पार्टी की महिला व बाल कल्याण समिति अध्यक्ष

✓एक तरफ मोदी जी रेवड़ी कल्चर के खिलाफ हैं तो वही, मीरा भाईंदर में सत्तासीन भाजपा के लोग साइकिल बांटकर रेवड़ी कल्चर को बढ़ावा देने में लगे हुए हैं।

✓रेवड़ी बांटने का पैमाना भी ऐसा जैसे “अंधा बांटे सिन्नी (प्रसाद), घर घराना खाए”

हिन्द सागर, मीरा-भाईंदर: इस समय देश के अंदर चुनावी वादों को लेकर देश के प्रधानमंत्री ने इसको रेवड़ी कल्चर बताते हुए विरोध किया है। जिसके विरुद्ध मामला उच्चतम न्यायालय तक पहुंच गया है। वही ठाणे जिले की मीरा-भाईंदर महानगरपालिका में सत्तासीन भाजपा की महिला बाल विकास समिति की अध्यक्ष मीरा देवी यादव ने इसी रेवड़ी कल्चर को बढ़ावा देते हुए चुनाव से ठीक पहले बच्चों में साइकिल और बैग वितरण का कार्यक्रम आयोजित करना तय किया है।

इस मामले में विपक्ष का आरोप है कि वोट बैंक बढ़ाने की मंशा से महिला व बाल कल्याण समिति मुफ्त साइकिल और बैग बांटने पर आमदा है। पद जाने से पहले वह किसी भी सूरत में चुनावी साईकिल बांट देने की भाग – दौड़ में लगीं हैं।
ज्ञात हो कि 27 अगस्त को सभी नगरसेवकों का कार्यकाल पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा इसलिए उनकी कोशिश है कि समय सीमा से पहले उपहार वितरित कर दिए जाएं।

बताते चलें की मनपा का खजाना खाली होने के साथ ही मनपा कर्ज में डूबी हुई है। आर्थिक अड़चन से कई बुनियादी सुविधाएं व विकास कार्य अधर में हैं। लेकिन इसकी फिक्र अध्यक्ष को नही है।

दाग़ धोने के लिए हो रहा साइकिल का वितरण

हाल ही में कुछ दिन पहले युवा कांग्रेस के सचिव दीप काकडे द्वारा सत्ताधारी भाजपा पर 18 करोड़ रुपये के कथित घोटाले के आरोप लगाया था। अब साइकिल वितरण का मामला सामने आने पर युवक कांग्रेस नेता दीप काकड़े ने कहा कि घोटाले से ध्यान भटकाने और इससे हुई बदनामी का दाग धोने तथा चुनावी लाभ ऊठाने की मंशा से खैरात बांटने की तरकीब सत्ता व प्रशासन ने सोंची है।

कार्यकाल पूरा होने से पहले वितरण की तैयारी

समिति के निर्णय के अनुसार मनपा विद्यालयों की आठवीं कक्षा की छात्राओं तथा गैरसरकारी व सरकारी विद्यालयों के 95 फीसदी से अधिक अंक से उत्तीर्ण विद्यार्थियों को साइकिल एवं 90 फीसदी से अधिक अंक से पास बच्चों को साइकिल व स्कूल बैग मुफ्त में दिया जाएगा।

वितरण की प्रक्रिया विवादित

विपक्षी पार्टी शिवसेना (उध्दव गुट) के स्थानीय प्रवक्ता शैलेश पांडेय ने कहा कि सत्तापक्ष को गरीब छात्रों की नही, बल्कि खुद की फिक्र है। चुनावी लाभ पाने के लिए वह यह फैसला लिया है।अगर उसे सच में गरीबों की परवाह होती तो वह साढ़े सात साल पहले यह काम क्यों नही शुरू की, जब उसकी मनपा में सत्ता आई थी ? कोविड से आई आर्थिक मुसीबत के कारण बड़ी संख्या में गरीब बच्चों को इम्तिहान या पासिंग सर्टिफिकेट देने से रोका जाता रहा या उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया। ऐसे बच्चों की पहले फीस भरी जाए और सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त बेड व जरुरी उपकरण उपलब्ध कराए जाय।
वहीं शहर के बुद्धिजीवियों में ऐसी चर्चा चल रही है की प्राइवेट विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र जो लाखों की फीस भर सकते हैं उन्हें मनपा द्वारा दिए गए साइकिल की क्या आवश्यकता है ? ऐसे में वितरण की प्रक्रिया पर भी शहर में विवाद जारी है।

यह पुरानी परंपरा

विद्यार्थियों को उपहार देने की पुरानी परंपरा रही है। मै कुछ नया नही करने जा रहीं हूं। पहले नकद व लैपटॉप आदि दिए जाते थे। पर्यावरण की दृष्टि से इस बार मैंने साईकिल-बैग देने का निश्चय की हूं। प्रधानमंत्री के विचारों पर अमल करूंगी।

मीरा देवी यादव-अध्यक्ष, महिला व बाल कल्याण समित, मीरा-भाईंदर