संत बुधजी महाराज और रतनामाई मंदिर का युग महोत्सव २ जून को होगा

*बुधजी महाराज धुनी के (जीवित समाधि) कि वजह से ही खेडा गांव कालान्तर मे खेडा महाराजपुर नाम से जाना जाने लगा*

हिन्द सागर,जैतारण: जैतारण श्रीं श्रीं १००८ संत शिरोमणी बुधजी महाराज और माता रतनामाई की प्राण प्रतिष्ठा के १२ वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य मे जैतारण के पास स्थित खेडा महाराजपुर मे प्रजापत समाज १६ खेडा द्वारा निर्मित भव्य मंदिर के १२ वर्ष पूर्ण होने पर महायुगोतसव का आयोजन १६ खेडा प्रजापत समाज समिति द्वारा आयोजित किया जाएगा। समिति अध्यक्ष जवरीलाल खिनावडी ने बताया कि १जून बुधवार को भव्य जागरण के साथ समाज के भामाशाहो द्वारा बोलीयां बोली जायेगी। वही दुसरे दिन २जून गुरूवार को सुबह 7 बजे से 8 बजे तक कलश यात्रा तदनुसार यज्ञ और महाआरती का आयोजन 10 बजे तक होगा।जैतारण प्रजापत समाज छात्रावास संस्थान सचिव जवरीलाल बेतेडिया बांजाकुडी ने बताया कि महाआरती और ध्वजारोहण के बाद समाज के प्रतिभावान युवक युवतियों और मुख्य अतिथियों का मान सम्मान कर होसला बढाया जायेगा। समाज कि प्रतिभाओं को समाजिक स्तर पर आगे लाकर होसला बढाना चाहिए जिससे युवाओ मे प्रतिभा संचार को बढावा मिलता रहे। इस अवसर पर सुबह 11.30 बजे से महाप्रसादी का आयोजन होगा। प्रजापत समाज का यह भव्य आयोजन श्री पती धाम नन्दनवन राजपुरा के गादिपती संत गोविन्द वल्लभ के सानिध्य मे किया जायेगा। प्रजापत समाज के सभी समाज बंधुओ को इस आयोजन को लेकर भारी उतसाह है। और इसमे दक्षिण भारत बैंगलोर हैदराबाद चैन्नई से भी भक्त बढी संख्या मे आने वाले है। ज्ञात रहे बुधजी महाराज और रतनामाई के इस पावन धाम के प्रति १६ खेडा प्रजापत समाज के लोगो का गहरा जुडाव है। और सभी भक्त इस पावनधाम के प्रति बडी ही आस्था रखते है।कोषाध्यक्ष गोपाल प्रजापत लासनी ने बताया कि समाज के सभी युवाओ कि अलग अलग कार्यसमितिया बनाकर सभी व्यवस्थाएं सुचारू रूप से कि जायेगी। आयोजन समिति मे प्रधान मांगीलाल कालबाल आसरलाई सचिव जवरीलाल बांजाकुडी दुदारामजी फुलमाल अध्यक्ष जवरीलालजी खिनावडी कोषाध्यक्ष गोपाल लासनी चेनाराम बांजाकुडी महेन्द्र वकील बलुन्दा बाबुलाल घोडावड महेन्द्र बांजाकुडी सोनाराम मोहराई मंगलराम लासनी भंवरलाल लासनी सभी समाज बंधुओ और युवाओ ने कई दिनो से युद्ध स्तर पर तैयारी कर आयोजन को सफल बनाने की तैयारी कि है।

*इतिहास संत बुध जी महाराज और रत्ना माई का*

इतिहास के अनुसार गांव फूलमाल हाटवा गौत्र मे जन्म लेकर ग्रहस्थ जीवन के साथ भगवान कि भक्ति कर निकटतम गांव खेडा मे भक्ति करते हुए एक आश्रम बनाकर रहने लगे। अपने जीवन को भगवान भक्ति मे समर्पित कर अपनी जीवन संगीनी रतनाबाई के साथ विक्रम संवत १८८५ मे बुधजी महाराज धुनी के (जीवित समाधि) कि वजह से ही खेडा गांव कालान्तर मे खेडा महाराजपुर नाम से जाना जाने लगा।और यह महाराजपुर खेडा प्रजापत समाज १६ खेडा कि आस्था का प्रतिक है।