हिन्द सागर, मुंबई। हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट ने बलात्कार के एक मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने नाबालिग से रेप के आरोपी रमेश वावेकर (29 )की उम्र कैद की सजा को घटाकर 10 साल कर दिया है । इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि बलात्कार से गर्भवती होने से पैदा हुए बच्चे भी अपराध का शिकार हैं। इसलिए उसे भी पर्याप्त मुआवजा मिलना चाहिए। कोर्ट ने आरोपी को पीड़िता के बच्चे को 2 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया है।
न्यायमूर्ति साधना जाधव और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने यह जानने के बाद आदेश जारी किया कि प्रसव के बाद मरने वाली बलात्कार पीड़िता से पैदा हुए बच्चे को न केवल लड़की के परिवार ने बल्कि दोषी ने भी छोड़ दिया है, जिसका पालन पोषण एक अनाथालय में हो रहा है। खंडपीठ ने खार निवासी रमेश वावेकर को बच्चे के कल्याण के लिए 2 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया है , पीठ ने कहा कि कानून एक निर्दोष बच्चे को पीड़ित नहीं छोड़ सकता, क्योंकि उसके पिता ने उसे छोड़ दिया था।
गौरतलब है कि यह पूरा मामला साल 2015 का है। पुलिस के मुताबिक मुंबई के खार निवासी रमेश वावेकर (29 ) का एक नाबालिग लड़की के साथ न केवल संबंध था बल्कि शारिरीक संबध भी हो गया था। उन दिनों नाबालिक हाईस्कूल की छात्रा थी। इस बीच वावेकर को बता चला की वह गर्भवती हो गई है। इसके बाद उसने नाबालिग से दूरी बना ली थी। गर्भवती ने एक बच्चे को जन्म दिया। बच्चे के जन्म के चार दिन बाद ही नाबालिग की मौत हो गई थी। जानकारी के अनुसार सितंबर 2015 में सांताक्रूज़ पुलिस स्टेशन ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोवसो) अधिनियम 2012 की संबंधित धाराओं के तहत रमेश के खिलाफ मामला दर्ज किया था। उस समय नाबालिग आठ माह की गर्भवती थी। नाबालिग ने 8 अक्टूबर 2015 को बच्चे को जन्म दिया था। बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने बड़े फैसले में कहा कि बलात्कार से पैदा हुए बच्चे को पर्याप्त मुआवजा मिलना चाहिए। हाई कोर्ट ने यह फैसला नाबालिग से रेप के आरोपी रमेश वावेकर उर्फ़ डिस्क जॉकी की उम्र कैद की सजा को घटाकर 10 साल करते हुए पीड़िता के बच्चे को 2 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है।