कोराना भड़भड़ी से लड़ें या अवैध रूप से जारी हो रहे हैं खातेदारी सेटेलाईट नक्शे
नक्शौ के नाम पर वसूले जा रहे हैं मनमाफिक दाम
बाड़मेर 24 नवम्बर, राज्य सरकार के मुखिया अशोक गहलोत द्वारा आमजन के हितार्थ हमेशा नये नये आदेश जारी कर दिया जाता है लेकिन धरातल पर यह आदेश शायद रद्दी की टोकरी से ज्यादा शोभायमान बाड़मेर जिले में साबित नहीं होता होगा ।
राजस्थान राज्य के राजस्व मण्डल अजमेर द्वारा अपने अधीन एसडीओ, तहसीलदारों,नायब तहसीलदारों, आरआई व पटवारियों पर कितनी नकेल लगाये लेकिन पटवारियों की मिलीभगत से देश की पश्चिमी सरहद पर बसे बाड़मेर जैसलमेर जिलों में इन दिनों सेटेलाईट से जारी हो रहे अवैध खातेदारी नक्शै खातेदारों के बीच विवाद का कारण बने हुए हैं। हालात यह है कि बिना जिला प्रशासन की स्वीकृति से जारी हो रहे इन सेटेलाईट नक्शे के नाम पर मोटी रकम खातेदारों से इन दिनों कई व्यक्तियों द्वारा खुल्लेआम वसूली की जा रही है इससे भी चौकाने वाली बात तो यह है कि इस अवैध नक्शै करोबार पर कोई रोक लगाने की बजाय स्वयं जिम्मेदार पटवारी व आरआई तक सही मानते हुए खातेदारों की जमीनों की सीमा का निर्धारण कर रहे है जबकि गूगल अर्थ सेटेलाईट से जारी हुए ये नक्शै किसी भी सुरत में अधिमान्य नहीं है।
जानकारी के मुताबिक बाड़मेर जिले के सेटलमेंट के समय से आवंटित जमीनों को पिछले कई वर्षों से सेटेलाईट नक्शो के जरिये चुनौती दी जा रही है। इनता ही नहीं इन नये सेटेलाईट नक्शौ में सेटलमेंट के समय दी गई जमीनों की सीमा को ही उल्टा करके रख दिया है इसके कारण खातेदारों में इन दिनों में जमीनों के विवाद बढ गये है। जिले में बहुतायत मात्रा में मिले खनिज भण्डार एवं पेटोलियम पदार्थो के कारण बढी जमीनों की किमतों के कारण एक एक इंच जमीन के मायने बदल गये है।
बिना सरकारी स्वीकृति जारी हो रहे है सैटेलाइट नक्शे : बाड़मेर जिले में इन दिनों कई लोगों द्वारा दुकानें लगाकर सेटेलाईट के जरिये जमीनी नक्शे जारी कर खातेदारों को दिये जा रहे है इसकी एवज में एक खातेदार को उसके खसरे की कम्प्यूटर प्रतिलिपि प्रिंट आउट देने के लिए करीब दो हजार से पांच रूप्ये तक खुल्लेआम वसूले जा रहे है।
पिछले कई सालों से चल रहे इस गोरखधंधे के जरिये दुकान मालिकों द्वारा अच्छा खासा पैसा बटोर लिया गया है लेकिन बिना किसी प्रमाणिकता के जारी किये जा रहे इन नक्शौ में सेटलमेंट के समय से आंवटित जमीन और वर्तमान नक्शे में बड़े पैमाने में विविधता आ गई है इसके कारण जमीनी सीमा को लेकर खातेदारों के बीच आपसी विवाद पैदा रहे है। जबकि कानूनी रूप से इस सेटेलाईट नक्शो को किसी भी तरह से वैध नहीं माना गया है।
क्या है नियम – जानकारों के मुताबिक बाड़मेर जिले में सेटेलाईट के जरिये जमीनी नक्शो जारी करने के लिए कोई भी फर्म या व्यक्ति अधिकृत नहीं है जबकि इसके लिए जिला कलेक्टर की स्वीकृति के बाद स्वयं जिला कलेक्टर, तहसीलदार, या नायब तहसीलदार स्तर के किसी सेवानिवृत अधिकारी को इस कार्य के लिए अधिकृत कर सकता है लेकिन वर्तमान में इस तरह की स्वीकृति जिला प्रशासन द्वारा किसी को भी नहीं दी गई है।
इससे भी गंभीर बात तो यह है कि सेटेलाईट से जारी इन नक्शो को कानूनी रूप से अदालत से मान्यता नहीं है ऐसे में अगर कोई खातेदार इस नक्शो के आधार पर कोई दावा करता है तो अदालत इस दावें को पहले ही चरण में खारिज कर देती है।
क्या है गड़बड़झाला : जिले में तेजी से बढी जमीनों की कीमतों के कारण इन दिनों हर कोई ,खातेदार अपनी जमीन का सीमाज्ञान कराने में जुटा हुआ है। इसके लिए वह पटवपरी से जब संपर्क करता है तो पटवारी द्वारा उसे उक्त दुकानों पर भेज दिया जाता है और वहां से सेटेलाईट नक्शे की प्रतिलिपियां लाने के लिए कहा जाता है सूत्रों के मुताबिक इस कार्य में दुकानदार एवं पटवारी के बीच कुछ कमीशनखोरी पहले से तय है। इसके बाद सेटेलाईट से जारी बिना प्रमाणिकता के इन नक्शो को पटवारी और आरआई ग्रामीणों की अज्ञानता का फायदा उठाकर उनकी जमीनों की सीमा में परिवर्तन होने के बात बताकर उनकी जमीन का काफी हिस्सा दूसरे खातेदार के हिस्से में चले जाने एवं आॅवरलिपिंग होने की बात कहकर उन्हें डरा देता है और बाद में बड़ी रकम खातेदार से वसूल लेता है। लेकिन काश्तकारों की अज्ञानता के कारण इस नक्शो की प्रमाणिकता का पता किए बिना ही अपने पडौसी खातेदारों से अपनी जमीन को लेकर लड़ झगड़ रहे है जिसके कारण जिले का सौहार्दपूर्ण वातावरण खराब हो रहा है वहीं इस सेटेलाईट नक्शो की आड़ में भूमाफिया गिरोह के लोग पटवारियों और आर आई से मिली भगत कर जमीनों में हैरा फैरी करने में जुटे हुए है।
देर रात्रि में बनते है सेटेलाईट नक्शे : अवैध दुकानों पर दिन में आने वाले काश्तकारो से खसरे व इससे संबंधित जानकारी ले ली जाती है और रात्रि में उक्त नक्शे तैयार किये जाते है और दूसरे दिन उक्त खातेदारों को नक्शे सुपुर्द कर दिये जाते है एवं उक्त खसरे की फाईल अपने लिए खसरा संख्या के नाम से सेव कर दी जाती है। भविष्य में खातेदारी इसी दुकानों पर पुनः नक्शों को प्राप्त करने के लिए आये तो उन्हेें जल्द वो प्रिन्ट आउट निकालकर दी जा सके। संबंधित खातेदारों के विवाद होने पर उक्त नक्शो को प्रमाणित किया जाता है लेकिन मौके पर किसी तरह से कोई नक्शा पटवारियों द्वारा नहीं बनाया जाता है ।
क्या कहते है अधिकांश अधिकारी : इसलिए आ रही परेशानी: राजस्व विभाग द्वारा अभी जिलों की सभी तहसीलों में खातों की तरमीम करवाई जा रही है। लेकिन नक्शा सेटलमेंट को साठ सित्तर सालों से अधिक हो जाने के कारण कई खसरों का मौके से मिलान नहीं हो रहा है। जिससे कई प्रकार की परेशानियां पटवारियों को उठानी पड़ रही है। तो कई खसरों के नामांतरण में नक्शा व दिशा संलग्न नहीं होने से कई तरमीम शुदा खसरों का नक्शा में मिलान नहीं होता है। तो पुराने आंवटन के खसरों में नामांतरण पुश्त प नर्जरी नक्शे भी नहीं है। तो कई खसरों में मौके पर आवंटी ही काबिज नहीं है। तो कई तरमीम शुदा खसरों में रिकार्ड से मौके पर अधिक बंटवारा किया हुआ है। बंटवारा सहित कई ऐसे मामलों में पुलिस द्वारा कभी कभार कानूनी कार्रवाई की जाती है। इसके चलते पटवारियों सहित राजस्व विभाग के कर्मचारियों में भी भय का माहौल बनता है।
विभाग ने नहीं दिए स्पष्ट आदेश: ऐसे मामलों में स्पष्ट व लिखित आदेश नहीं होने से कर्मचारियों में भय बना हुआ है।इस संबंध में कर्मचारीयों द्वारा कई बार उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है, लेकिन इस समस्या का कोई समाधान नहीं हो रहा है। इसके चलते जिले में तरमीम कार्य में भी अपेक्षित प्रगति नहीं हो पा रही है। अभी जिले में कुछ तहसीलों को छोड़कर सभी में लंबे समय से कार्य चल रहा है। लेकिन यह पटवारियों के लिए जी का जंजाल बना हुआ है। पटवारी डर-डर के काम कर रहे हैं।
इस संबंध में राजस्व विभाग के अधिकारियों से बात करने पर उन्होने कहा कि सेटेलाईट से जारी किये जा रहे खातेदारी नक्शे किसी तरह से मान्य नहीं है। हमारी जानकारी में भी इस तरह के कई प्रकरण आये है। और इसके बाद हमारी और से सभी तहसीलदारों व पटवारियों को यह निर्देश जारी
किये गये है वह इन सेटेलाईट नक्शो को आधार मानकर कोई कार्यवाही नहीं करें लेकिन यह सही है कि इन दिनों निर्देशों की पालना आज-कल नहीं हो रही है और गरीब एवं अनजान किसानों को खुल्लेआम लूटे जा रहे है इस संबंध में पुनः फिल्ड अधिकारियों को निर्देश जारी किये जायेगें ताकि इन नक्शो के आधार पर भूमि की पैमाईश नहीं की जायें।
क्या कहते है विधि जानकारी : इस संबंध में विधि सलाहकार अम्बालाल जोशी ने बताया कि सेटेलाईट के जरिये जारी किये जा रहे जमीनों के नक्शे कानूनी रूप से वैद्य नहीं है अदालत में किसी जमीनी दावें के प्रकरणों में इस तरह के नक्शों को अदालत मान्यता नहीं देता है।
क्या कहते है पटवारी : इस संबंध में नाम न छापने की शर्त पर कुछ पटवारियों ने बताया कि बाड़मेर शहर में जारी किये जा रहे है सेटेलाईट नक्शो को सरकार द्वारा मान्यता नहीं है सिर्फ राजस्व विभाग, तहसीलदार व पटवारी द्वारा जारी प्रमाणित नक्शे ही विधि मान्य है। इसके अलावा सेटेलाईट नक्शे किसी भी रूप से जमीनी हकदारी के लिए भी अधिकृत नहीं है । उन्होने बताया कि बाड़मेर जिले में जो सेटेलाईट नक्शे जारी किये जा रहे है उसके लिए कोई व्यक्ति अधिकृत नहीं है ।