रंजिश मे तब्दील हो रहा जमीन विवाद का मामला

हाईकोर्ट से आदेश के बाद भी दबंग कर रहे मनमानी

जमीन पर दोनों गुटो के बाउंसरो के साथ पुलिस का भी पहरा

हिन्द सागर मिराभाईंदर। मीरा रोड क्षेत्र में एक जमीन विवाद का मामला इस तरह तूल पकडा है की उस जमीन पर अब रंजीश का माहौल उत्पन्न हो गया है। हालात यह है कि एक ही जमीन पर दोनों पार्टियों के बाउंसरो के साथ-साथ पुलिस को भी दंगल नियंत्रण पथक तैनात करना पड़ा है। गाँव नमूना सात बारा के अनुसार विवादित जमीन सुनील माँगीलाल जैन का है इस जमीन पर नरेश शाह नामक ब्यक्ति भी दावा कर रहा है। सुनील माँगीलाल जैन का कहना है कि यह जमीन मैंने खरीदा है। मेरे नाम इसका 7/12 उतारा और रजिस्टर्ड एग्रीमेंट है। जबकि दूसरे शाह का कहना है की यह जमीन मेरे कब्जे में है। इन सभी तर्क-वितर्क के बीच सुनील जैन द्वारा हाईकोर्ट से ऑर्डर लाया गया कि उसे जमीन पुलिस जबरन खाली नहीं करा सकती या इस जमीन को खाली कराने में पुलिस का कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।

ज्ञात हो कि मिरारोड के 15 नंबर बस स्टॉप पीनाकोला टाँवर के सामने तथा ओवला-माजीवाडा विधानसभा के विधायक प्रताप सरनाईक के कार्यालय से 100 मीटर की दूरी पर स्थित सर्वे न. 132/1 की जमीन का मामला इस कदर उलझ गया है कि दोनों गुटों मे रंजिशन अपराध होने का खतरा हैं। मिरा रोड के जमीन सर्वे नंबर जूना 456 हिस्सा न. 1 के अनुसार 7295 स्कावयर यार्ड तथा नया सर्वे नंबर 133 हिस्सा नंबर 1 के अनुसार 6589.96 स्कावर यार्ड की जमीन का सातबारा सुनील जैन तथा उनके दूसरे सहयोगी लोगों के नाम है। यह मामला 1995 से माननीय हाईकोर्ट न्यायालय में लंबित चल रहा था। इस जगह पर दोनों पार्टियों ने अपने अपने तरीके से कब्जा कर रखा था। अब जब जुलाई 2019 में हाईकोर्ट का आदेश आया कि इस जमीन से सुनील जैन का कब्जा हटाया नहीं जा सकता, तब इस जमीन पर हलचल तेज हो गया है।

काबू से बे काबू होती परिस्थिति

आज का माहौल यह है की उस जमीन पर किसी तरह के हादसे को लेकर 50 की संख्या में दंगल नियंत्रण पथक तथा पुलिसकर्मी मौजूद हैं। इनके साथ ही सैकडों की संख्या में बाउंसर उस जमीन के टुकड़े की रक्षा के लिए देखे जा सकते हैं। इतनी भारी मात्रा में जमीन के टुकड़े के लिए सुरक्षा रक्षको का तैनात किया जाना इस बात की तरफ इशारा करता है कि कहीं ना कहीं अब यह जमीन विवाद मामला रंजीश में तब्दील होता जा रहा है। जमीन विवाद मे ऐसा मामला देखकर युपी बिहार मे चलाए जा रहे जंगल राज की याद आती है जो अब मिराभाईंदर मे देखने को मिल रहा है।

जमीन विवाद का हकीकत
सातबारा के अनुसार यह जमीन सुनील जैन तथा उनके साथी कुन्दन पाटिल, प्रशांत वाघासिया उर्फ पटेल व दमयंती तांगडी के नाम है। जो उन्होंने पूर्व जमीन मालिक से 2015 मे पंजिकृत करारनामा द्वारा लिया था।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जमीन पर जबरन कब्जा करने वाला व्यक्ति हिस्ट्रीशीटर रह चुका है। पुराने खेडूत (जमीन मालिक) ने इसके द्वारा सताए जाने तथा छोटा राजन के गुर्गों से धमकी दिलाए जाने की शिकायत उस समय के गृहमंत्री आर.आर.पाटिल से किया था।

मामले पर पुलिस का नजरिया

इस मामले मे खीचतान को देखते हुए हमारे संवाददाता ने कनकिया पुलिस स्टेशन के निरिक्षक से बात किया जिसमे उन्होंने कहा की हम शहर के शांति व्यवस्था को कात्रम रखने के लिए हर समय प्रतिबद्ध हैं। इस मामले में एक तरफ सुनील जैन के पास सातबारा तथा जमीन से जुड़े जरूरी कागजात हैं वहीं नरेश शाह भी जमीन से संबंधित कागजात दिखा रहा है। इन दोनों लोगों के बीच बढते खींच तान को देखते हुए वहां पर पुलिस बंदोबस्त लगाया गया है। हम इस मामले में कोर्ट के निर्देशों का पालन करने के लिए ही तैनात हैं।

सिसटम के रवैये पर छलका जमीन मालिक का दर्द
इस जमीन विवाद के मामले में जमीन मालिक सुनील जैन से बात करने पर सिस्टम के रवैये से परेशान भाऊक होकर जैन ने कहा कि आज वह आदमी सिस्टम की लापरवाही के वजह से ही दादागिरी के साथ हमारे जमीन पर कब्जा कर रहा है। अगर जमीन उसका होता तो जब मै 2015 मे जमीन रजिस्ट्रेशन करा रहा था तब इसने नियमतः आपत्ति क्यों नहीं जताई, जमीन का सातबारा मेरे नाम हस्तांतरित हुआ तब इसने आपत्ति क्यों नहीं जताई, मेरे द्वारा तलाठी का पंचनामा होने पर आपत्ति क्यों नहीं जताई, नगरपालिका द्वारा जब रोड का काम शुरू किया गया तब सुनील जैन ने आपत्ति जताई उसने आपत्ति क्यों नहीं दर्ज कराया, मनपा द्वारा गार्डन का काम चल रहा था तब आपत्ति मैने जताई वो उस वक्त कहाँ था, मिराभाईंदर मनपा द्वारा पाइप लाइन का काम करने के समय जब हमारी जमीन पर बिना इजाजत पाइप रखे गए थे तब मैने कनकिया पुलिस चौकी में ट्रेसपासिंग के लिए आपत्ति जताते हुए उस समय की महापौर गीता जैन के पास शिकायत दर्ज कराया था उस वक्त वह कहाँ था। अगर मै वहाँ पर कब्जे में नहीं होता तो मेरे द्वारा जमीन मामले में समय-समय पर आपत्ति कैसे दर्ज कराया जाता। मेरा कंटेनर आज भी वहां पर मौजूद देखा जा सकता है। वो जो हमारी जमीन पर आज फर्जी पेपर के दम पर दावा कर रहा है उसको कोर्ट ने नाकार कर उक्त जमीन पर मेरा दावा कोर्ट ने मंजूर किया है। कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के बाद भी आज अगर वह जमीन पर दादागिरी कर हाबी होना चाहता है तो इसे सिस्टम की नाकामी ही कहा जाएगा।