खूब लड़ी मर्दानी, ये तो पाली वाली रानी है

चतुर्भुजा पाण्डेय @ हिन्द सागर 
मीरा-भाईंदर: इतिहास गवाह है, जब जब धरती पर पाप व भ्रष्टाचार बढा है तब तब किसी न किसी रूप में उसका विनाश करने वाले का जन्म होता है। ऐसा ही एक समय अपने ही घर मे हासिए पर रहने वाली महारानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों की हुकूमत को लोह के चने चबवाया था। उस महान योद्धा महारानी लक्ष्मी बाई के चरित्र चित्र को देखकर मीरा भाईंदर विधानसभा की निर्दलीय उम्मीदवार गीता जैन की याद आती है, जो लाख मुसीबतों के बाद भी शहर का विकास करते हुए भ्रष्टाचार और तानाशाही के खिलाफ चुनावी मैदान में भ्रष्टाचारियों से मुकाबले के लिए तैयार है।
       बताते चलें कि 2019 के बाद का कार्यकाल ही विपत्तियों भर था, जिसमें ढाई साल लगभग कोविड काल जैसे महामारी का दौर चला, इस दौरान भी गीता जैन ने आयुष देवी बनाकर शहर को हर संभव मदद किया, जहां शहर में एक मात्र टेम्बा अस्पताल था, जिसमे भंयकर महामारी को झेलने की क्षमता नहीं थी, वहीं उन्होंने शहर में सैकड़ों ऐसे कॉविड अस्थाई अस्पताल बनवाया  जिसमें शहरवासियों का इलाज आसानी से हो सके, ऑक्सीजन के कमी पड़ने पर गीता जैन ने स्वयं के खर्चे से ऑक्सीजन उपलब्ध कराया साथ ही हरसंभव मेडिसिन, मेडिकल उपकरण तथा एंबुलेंस की व्यवस्था कराई।
       कोविड काल का दौर खत्म होने के बाद महाराष्ट्र सरकार में सियासी उठापटक शुरू हो गया, जिसमें सरकार गिरी और पुनः नई सरकार का गठन हुआ, इस दौरान भी 1 साल का समय व्यर्थ निकल गया। संयोग बस बस दुर्भाग्य ही कहे की गीता जैन के पिछले कार्यकाल में प्राकृतिक आपदा और राजनीतिक उठा-पटक के चलते शहर में तेजी से विकास कार्य करने का कोई सुनिश्चित अवसर नहीं प्राप्त हुआ। इन सबके बावजूद भी गीता जैन ने शहर के मेट्रो का विकास हो, हॉस्पिटल का नवीनीकरण हो, आरसीसी सड़के हो, महिलाओं के सुरक्षा का मामला हो तथा समाज द्वारा के किए जाने वाले हर सामाजिक कार्यक्रम में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।
 मेरा बैर कमल से नहीं कीचड से है….” 
जिस तरह ब्रिटिश हुकूमत के दौरान मिरा-भाईंदर के लोगों ने बड़ी संख्या में अंग्रेजों के खिलाफ बगावत की और नमक सत्याग्रह आंदोलन को अंजाम तक पहुंचाया। उसी तरह झांसी की रानी बनकर “मेरा बैर कमल से नहीं कीचड से है….” जैसे खरे शब्दों के साथ महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव प्रक्रिया में नामांकन दाखिल करके गीता जैन ने एक बार फिर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जनता की सेवा में हाजिर है।
 हिंदी भाषी मतदाताओं की भूमिका निर्णायक 
बता दें कि महाराष्ट्र के 288 विधानसभा सीटों में मीरा भाईंदर सीट महत्वपूर्ण स्थान रखती है। ये विधानसभा क्षेत्र ठाणे जिले का हिस्सा होने के साथ ही मुंबई उपनगरीय क्षेत्र की सबसे  लोकप्रिय जगह है। इस विधानसभा क्षेत्र से 2019 में मोदी लहर के बावजूद भाजपा समर्थक निर्दलीय उम्मीदवार गीता जैन ने भाजपा के अधिकृत उम्मीदवार नरेंद्र मेहता को हराया था। 5 साल के दौरान यहां वोटरों की संख्या में वृद्धि हुई है। वर्तमान समय में इस इलाके में कुल वोटरों की संख्या 5,07,542 है। जिसमें पुरुष 2,66,236 महिला 2,41,213 व 18 से 19 वर्ष के वोटरों की संख्या 11328 है, दिव्यांगों की संख्या 2210 तथा 85 से अधिक उम्र वालों की संख्या 5061 के करीब है साथ ही तृतीयपंथी 93 मतदाता हैं। इसमें हिंदुओं का वोट 68% , मुसलमानों का वोट 17%, इसाई का वोट प्रतिशत 5%, जैन का वोट 8%, बौद्ध का वोट 1.86% सिख का वोट 0.53% तथा अन्य धर्मावलंबियों का वोट 0.41% है। इस क्षेत्र में हिंदी भाषी मतदाता ही निर्णायक भूमिका में है समय के साथ बढ़ती लोकप्रियता व जन समर्थन के चलते मिरा-भाईंदर शहर को भ्रष्टाचार से बचाने के लिए पुनः बल्लेबाज चुनाव निशान के साथ चुनावी मैदान में हैं।
 वर्तमान प्रत्याशियों पर जनता की राय 
गीता भरत जैन मीरा भाईंदर की शान है, हिन्दू शेरनी है, 100 सोनार की 1 लोहार की जो कहावत कही गई है वो सच है। उत्तर भारतीय भवन का निर्माण गीता भारत जैन ने किया, उत्तर भारतीय लोगों के लिए कोई आगे आता है तो वो गीता भरत जैन है, मेरी विधायिका है। आप आगे बढ़ो हम सब आप के साथ है मीरा भाईंदर के सभी लोगों से मेरी अपील है की गीता भरत जैन को भरी मतों से जिताए, जय श्री राम, जय श्री राम
रमेश दूबे 
ट्रांसपोर्ट संचालक
मीरा-भाईंदर निवासी
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गीता जैन ने कभी किसी को तकलीफ नहीं दिया, यथासंभव हमेशा सब का मध्य किया है, इतने विपरीत परिस्थितियों में भी जनता के बीच बनी रहीं, जबकि मेहता से लोग अभी भी डरे हुए हैं। मेहता के प्रति लोगों में भय का माहौल है, अगर मेहता जीत जाएगा तो सब लोग परेशान होंगे, समाज का हर तबका परेशान होगा, इसलिए इस समय के तीनों प्रत्याशियों में सबसे उचित उम्मीदवार गीता जैन ही है।
गोपाल तिवारी 
व्यापारी, मीरा-भाईंदर निवासी 
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शहर में मेहता के प्रति नकारात्मक माहौल है, इन्होंने कुछ ऐसे काम कर दिए हैं जिस कारण जनता आज भी इनसे डरी हुई है। गीता जैन ने भले ही कुछ नहीं किया लेकिन उसने किसी को तकलीफ नहीं दिया है। रही मुजफ्फरपुर की बात तुम मुजफ्फर को मैंने शहर के किसी गतिविधि में कभी देखा ही नहीं है। इसलिए लोग भले ही ऊपर-ऊपर मेहता के साथ होने का दिखावा कर रहे हैं, पर वोट किसे देंगे यह कोई नहीं जानता, यह तो आने वाले 23 तारीख को ही मालूम पड़ेगा।
लालजी भानूशाली 
जिला मंत्री -अंतर्राष्ट्रीय हिंदू परिषद
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हमारे उत्तन साइड में राई, मुर्धा से डोगरी तक गीता जैन का ही माहौल है लोगों का मानना है की मेहता जीतने के बाद लोगों को परेशान कर सकते हैं, पर गीता से लोग पूरी तरह अस्वस्थ हैं, मुजफ्फरपुर ठीक है, पर कौन विधायक बनेगा इस बारे में तो कुछ नहीं कहा जा सकता जनता के ऊपर है जनता का निर्णय सर्वमान्य होता है वह तो आने वाले समय में मालूम पड़ जाएगा।
कृष्णा निषाद 
फोटोग्राफर, मीरा-भाईंदर निवासी