मीरा ब्रदरअंडर मेट्रोपॉलिटन सीक्रेट के पत्रकार चैट रूम में 21 साल की उम्र में कुछ काल्पनिक ट्रैपरेट जंगलराज का अंत हुआ
संस्था के नाम का उपयोग नहीं करने और संस्था के फंड को उपायुक्त के यहां जमा करने का आदेश
पत्रकार चतुर्भुज पाण्डेय और अन्य दो लोगों की शिकायत पर धर्मदाय उपायुक्त ने ऐतिहासिक निर्णय लिया
हिंद सागर, मीरा-भाईलैंड: मीरा भाईंदर मेट्रोपॉलिटन रिज़र्वेशन परिसर के अंदर बने पत्रकार कक्ष में पिछले 21 साल से चल रहे संभावित पाराटेज की संस्था मीरा ब्रदरेंडर कृपया वार्ताहार संघ का पंजीकरण धर्मदाय आयुक्त ने रद्द कर दिया है।
ज्ञात हो कि इस संस्था का प्रारंभिक महा न. 1097/02 दिनांक 11/12/2002 था जबकि इनका प्रमाणीकरण न. F-11394 था। धर्मदाय आयुक्त द्वारा रद्द आदेश से यह स्पष्ट हो गया है कि इस संस्था ने प्रारंभिक आवेदन के बाद से अपना पंजीकरण प्रमाणपत्र नहीं लिया साथ ही 21 वर्षो में कभी भी ऑडिट रिपोर्ट व नई कार्यकारिणी से संबंधित कोई जानकारी नहीं दी। ये सबके बावजूद भी यह संस्था शहर में गैर-व्यवहारिक कार्य करती रही। इसका लगातार विज्ञापन भी आयुक्त कार्यालय में होता था।
इसी कारण धर्मदाय निर्णय उपायुक्त ने इस संस्था के पंजीकरण प्रभाव से रद्द करने का निर्णय दिया है।
इसी कारण से धर्मदाय निर्णय उपायुक्त ने इस संस्था के पंजीकरण प्रभाव से रद्द करने का निर्णय दिया है।
*निर्णय के मुख्य बिंदु*
1- संस्था का नाम अब भविष्य में कोई उपयोग नहीं होगा
2- संस्था के फंड को थाने धर्मदाय आयुक्त कार्यालय में जमा करना अनिवार्य होगा
3- संस्था के नाम से कोई कार्यक्रम, पावती, चंदा, सेमिनार, उत्सव करने पर पूरी तरह से पाबंदी
4 – संस्था की संपत्ति, कार्यालय, सागर अन्य कोई पूंजी किसी भी मद में व्यय करने पर पाबंदी
ज्ञात हो कि इस संस्थान द्वारा इस संस्था के कार्यालय के रूप में मीरा-भाई मेट्रोपॉलिटन पत्रकार कक्ष का उपयोग पिछले 21 वर्षों से मनपा पत्रकार कक्ष में संस्था का नाम फलक, मनपा का पता और टेलीफोन का उपयोग करने के लिए किया जा रहा था।
केवल पत्रकार कक्ष का ही उपयोग नहीं बल्कि विषेश भ्रम पैदा करने वाले संस्थान का लेटर पैड भी उसी फॉन्ट में बनाया गया था जैसे मनपा हेडक्वार्टर का लेटर पैड होता है। जिसके कारण लोगों में भ्रम का माहौल व्याप्त था कि यह संस्था मीरा भाईदर व्यवस्था द्वारा ही संचालित की जा रही है, जबकि मनपा ने धर्मदाय आयुक्त कार्यालय में इस बाबत को कई बार स्पष्टीकरण दिया है। संस्था के नाम में महानगरपालिका का नाम इस्तेमाल किया गया था जो निरंतर असंवैधानिक था। इस संस्था द्वारा निर्देशित का लगातार उल्लंघन करके अवैध रूप से इसके अधिकारियों की नियुक्ति की गई थी।किसकी शिकायत हिंद सागर समाचार पत्र के संपादक चतुर्भुज पाण्डेय और अन्य दो लोग अशोक निगम व शशि शर्मा ने थाने धर्मदाय आयुक्त के यहां विगत 7 जनवरी 2021 को शिकायत पत्र जारी किया था। जिसके बाद लगभग 2 साल की लंबी लड़ाई के बाद अंत: संस्था के ऊपर आरोप लगाए गए सभी आरोप सच पाए गए, —–
*अव्यभिचारी की जिम्मेदारी*
अब मीरा भाईदर मेट्रो मेट्रो के आयुक्त दिलीप ढोले को दिया जाना चाहिए कि इस संस्था द्वारा वर्तमान समय में किए जा रहे पत्र व्यवहार को संज्ञान में लेते हुए उन सभी गतिविधियों पर प्रभाव से रोके रखना ताकि संस्था द्वारा चलाए जा रहे अवैध गतिविधियों पर रोक लगाई जा सके ।
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*पूर्व में भी कई पत्रकारों ने किया संस्था रद्द करने का असफल प्रयास*
जब्तब हो कि मिर्जा मेट्रोपॉलिटन स्वीप वार्ताहार संघ के खिलाफ इससे पूर्व भी कई बुजुर्ग लोगों ने संस्था के पंजीकरण को रद्द करने का प्रयास किया था लेकिन पापरापिट में एकता की कमी के कारण उन्हें इसमें सफलता नहीं मिली थी, लेकिन इस बार मीरा संबंध के सभी प्रतिष्ठित प्रचारकों ने इस लड़ाई को अंजाम देने में प्रत्यक्ष या सहयोगी रूप से सहयोग दिया, जिसके परिणाम संस्था के होने के आदेश के रूप में प्रमाणित हुए। इससे अब उम्मीद जगी है कि भविष्य में भी मीरा भाईचारे के विचित्र विकास के लिए सभी पत्रकार अपनी एकता दिखाने का काम करेंगे।