यूपी ग्लोबल समिट : निवेशकों से बदलेगी उत्तर प्रदेश की तस्वीर

  • हिन्द सागर, (अजय कुमार पाण्डेय) लखनऊ: इस समय देश और दुनिया के करोड़ों लोगों की निगाहें 10 फरवरी से उत्तर प्रदेश में चल रहे तीन दिवसीय वैश्विक निवेशक समिट-यूपीजीआईएस की ओर लगी हुई है। इसका शुभारंभ 10 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों हुआ। सम्मेलन का समापन 12 फरवरी को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के भाषण से होगा। इस वैश्विक निवेशक सम्मेलन में पार्टनर देशों के तौर पर ब्रिटेन नीदरलैंड, डेनमार्क, सिंगापुर, जापान, इटली, दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया, यूएई और मारीशस से निवेशकों व उद्यमियों का बड़ा दल भाग लेगा।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने वैश्विक निवेशक सम्मेलन के लिए पहले 10 लाख करोड़ रु पये के निवेश का लक्ष्य रखा था।

देश और विदेशों में हुए सफल रोड शो के बाद इस लक्ष्य को बढ़ाकर 17 लाख करोड़ रु पये कर दिया गया, लेकिन स्थिति यह है कि निवेशक समिट के पहले ही लक्ष्य से कहीं ज्यादा 22 लाख करोड़ रु पये से ज्यादा के निवेश प्रस्ताव आ चुके हैं। उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 12000 के लगभग सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) सेक्टर के निवेशकों ने उत्तर प्रदेश में 1.20 लाख करोड़ रुपये का निवेश करने के प्रस्ताव दिए हैं। प्रदेश में सबसे ज्यादा रोजगार इसी क्षेत्र के जरिए ही पैदा होने वाला है। इससे प्रदेश में करीब 1.30 करोड़ नई नौकरियां पैदा होंगी। एमएसएमई के अलावा 1400 से ज्यादा अन्य वगरे के उद्यमियों ने 10 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव दिए हैं।

इतना ही नहीं करीब 150 निवेशक तो 3000 करोड़ रुपये से ज्यादा की परियोजनाओं के प्रस्तावों के साथ आगे बढ़े हैं। यदि हम यूपीजीआईएस के तहत अब तक आए प्रस्तावों को देखें तो पाते हैं कि प्रदेश में सबसे ज्यादा निवेश प्रस्ताव ऊर्जा व शिक्षा क्षेत्र में मिले हैं। इस क्षेत्र से सबसे ज्यादा 3.40 लाख करोड़ रु पये का निवेश ऊर्जा क्षेत्र में होगा। शिक्षा क्षेत्र में भी 1.57 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव आए हैं। प्रदेश में निजी विविद्यालय व कालेज के साथ ही अन्य तरह के शिक्षा संस्थान खोलने के लिए कई प्रस्ताव मिले हैं। वहीं आईटी एवं इलेक्ट्रानिक्स विभाग के तहत 1.50 लाख करोड़ रुपये के निवेश के लिए प्रस्ताव मिले हैं।

वैकल्पिक एवं गैर पारंपरिक ऊर्जा विभाग को तय लक्ष्य के पांच गुना से भी ज्यादा के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट उत्तर प्रदेश ही नहीं, दिल्ली सहित देश के अन्य प्रदेशों के युवाओं के लिए भी रोजगार के नये अवसरों के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध होगी। दिल्ली के कारोबारी भी अब यूपी में निवेश के लिए दिलचस्पी दिखा रहे हैं। यह स्पष्ट है कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में किसी वस्तु के उत्पादन वाले बड़े उद्योग कम ही हैं, यहां पर ज्यादा कंपनियां सर्विस सेक्टर की हैं, ऐसे में रोजगार के मद्देनजर दिल्लीवासी श्रमिकों के लिए पहले से लाभप्रद एनसीआर अब और महत्त्वपूर्ण हो गया है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा के बाद अब यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में भी बड़ी-बड़ी कंपनियों के उत्पादन सयंत्र देखने को मिलेंगे।

परिवहन कनेक्टिविटी और सुरक्षा सुदृढ़ होने के बाद इसमें और तेजी आई है। स्थिति यह है कि रोजाना लाखों लोग दिल्ली से नोएडा और ग्रेटर नोएडा सिर्फ  नौकरी करने के लिए जाते हैं। इसमें कोई दो मत नहीं है कि देश के विभिन्न प्रदेशों में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट के माध्यम से विभिन्न देशों के विदेशी निवेशक भारत में तेजी से अपना निवेश बढ़ा रहे हैं। भारत में निवेश का मतलब लोकतंत्र और विश्व के लिए निवेश है। यद्यपि यह दुनिया के लिए आर्थिक संकट और युद्ध की परिस्थितियों से जूझने का समय है, लेकिन दुनिया भर के अर्थ विशेषज्ञ, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए भारत को चमकता स्थान (स्पाट) बता रहे हैं। यह कोई छोटी बात नहीं है कि पिछले वर्ष 2021-22 में भारत के रिकॉर्ड स्तर पर 84 अरब डॉलर का विदेशी निवेश मिला था। यदि हम इस बात पर विचार करें कि जब पूरी दुनिया में आर्थिक और वित्तीय मंदी का माहौल है, विश्व की अर्थव्यवस्था में बड़ी गिरावट है, इसके बावजूद विदेशी निवेशकों के द्वारा भारत को एफडीआई के लिए प्राथमिकता क्यों दी रही है? तो हमारे सामने कई चमकीले तथ्य उभरकर सामने आते हैं। निसंदेह देश में विदेशी निवेश के लिए पारदर्शी व स्थाई नीति है। देश में विदेशी निवेश के लिए रेड कार्पेट बिछाने का माहौल बना है।

भारत में मजबूत राजनीतिक नेतृत्व है। भारत में निवेश पर बेहतर रिटर्न हैं। भारतीय बाजार बढ़ती डिमांड वाला बाजार है। देश में प्रतिभाशाली नई पीढ़ी की कौशल दक्षता, आउटसोर्सिंग और देश में बढ़ते हुए मध्यम वर्ग की चमकीली क्रयशक्ति के कारण विदेशी निवेश भारत की ओर तेजी से बढ़ने लगा है। वस्तुत: भारतीय घरेलू बाजार और अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है। इस समय जहां भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि हाल ही में एक फरवरी को प्रस्तुत वर्ष 2023-24 के रणनीतिक और दूरदर्शी बजट के पास भारत के विभिन्न राज्यों में विदेशी निवेश की संभावनाएं बढ़ेगी। इसके साथ-साथ चूंकि 2023 में जी-20 देशों की अध्यक्षता भारत के पास है और इस पूरे वर्ष देश के 50 से अधिक शहरों में 200 से अधिक विभिन्न समूह बैठकों में दुनिया के कोने-कोने से आने वाले जी-20 और अन्य देशों के प्रतिनिधि और उद्यमी भाग लेंगे, ऐसे में वर्ष 2023 में देश के विभिन्न प्रदेशों में विदेशी निवेश और तेजी से बढ़ते हुए दिखाई दे सकेंगे।

हम उम्मीद करें कि जिस तरह उत्तर प्रदेश सरकार ने देश-विदेश में अच्छे शासन प्रशासन और अच्छे बुनियादी ढांचे वाले प्रदेश के रूप में नई पहचान बनाई है, इसके आधार पर वैश्विक निवेशक सम्मेलन के तहत देशी और विदेशी निवेश की अभूतपूर्व संभावनाओं को मुट्ठी में किया जा सकेगा। इससे प्रदेश के साथ-साथ देश के युवाओं के लिए प्रदेश में रोजगार के मौके बढ़ेंगे। ऐसे में उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था देश की अर्थव्यवस्था को 2026-27 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में अहम योगदान देते हुए दिखाई देगी।