अगर कुम्हार दीपक नही बनाता तो भारत मे दीपावली का त्यौहार ही नही मनता
हिन्द सागर,सुरेन्द्र कुमार मेहराणीया,बेंगलुरू: मिट्टी के दीपक से ही दीपावली मनती है जब से श्रीराम की अयोध्या वापसी हुई और दीपावली पर्व शुरू हुआ तभी से मिट्टी का दीपक ही उपयोग में लिया जाता है और लिया जाता रहेगा। आजकल कुछ फेसबुक के नेता छाप लोग कुम्हारों से मिट्टी के दीपक खरीदकर अपनी फोटो लगाते है और संदेश छोड़ते है कि मिट्टी का दीपक इनसे ही खरीदे इनकी भी दीवाली मने कई कई तो कुम्हारों की लाचार जैसी फोटो लगाते है जो कि सरासर गलत है दीपावली पर कुम्हार भूखा नही मरता है ऐसा भी नहीं है कि 12 महीने से बैठा हुआ कुम्हार दीपावली पर ही कमाई करता हो जो आप ऐसी पोस्ट करते हो मिट्टी के दियो का उत्पादन तो हर साल बढ़ता ही गया है लेकिन उसकी कीमत नही बढ़ती आम आदमी अपने आमोद प्रमोद में खूब पैसा खर्च करता है लेकिन भारत के सबसे बड़े दीपावली त्यौहार के जनक कुम्हार से दीवाली के दिन भी दीपक का खूब मोल भाव करता है। दीपक पहले भी स्वदेशी था आज भी स्वदेशी है मंदिरों में हम लोग भगवान के साथ साथ संत महात्मा, पुजारी के भी पैर छूकर आशीर्वाद लेते है वैसे ही दीपावली के दिन दीपक के जनक कुम्हार के पैर छूकर फिर दीपक खरीदे तो निश्चित रूप से वह धनधान्य से पूर्ण होगा और दीप ज्योति उन्हें हर प्रकार से लाभान्वित होगी।
जिससे इस त्यौहार को हम लोग और अधिक महान बना सकेगे। अगर कुम्हार दीपक नही बनाता तो भारत मे दीपावली का त्यौहार ही नही मनता अतः सभी देशवासी स्वदेशी मिट्टी के दीपक खरीदते समय मोल भाव नही करें और दीपावली के जनक कुम्हार का स्मरण करें, चरण वंदन करें जिसने देश को सबसे बड़ा त्यौहार प्रदान किया।
मिट्टी का दीपक जलाएं घरो मे ज्यादा से ज्यादा मिट्टी के बर्तन ऊपयोग मे ले और दिवाली मनाएं। मिट्टी से बेहतर कुछ नहीं,मिट्टी ही अंतिम सत्य है और अंत में मिट्टी में ही मिल जाना है मिट्टी से जुड़ाव रखें। मिट्टी में बना खाना खाने से ना ही पेट निकलेगा बल्कि कैल्शियम विटामिन इत्यादि भरपूर मात्रा में मिलेंगे। शुभ_धनतेरस की शुभकामनाएं आज सोशल मीडिया की जागृति से सभी युवाओं की मेहनत से चाइनीज आइटम का बहुत कुछ बहिष्कार हुआ है और अभी भी आपके हमारे हाथ में है अपना कर्तव्य समझकर ज्यादा से ज्यादा मिट्टी के बर्तनों का प्रचलन करें ताकि आने वाले समय में आत्मनिर्भर भारत में प्रजापत कुम्हार जाति का संपूर्ण योगदान हो सके आज हम देख रहे हैं भगवान रामचंद्रजी का भव्य मंदिर लाखों-करोड़ों दीपक से जगमगाहट होने जा रहा है वो सब प्रजापत कुम्हार जाति की देन है हमें गर्व होना चाहिए अपने समाज पर विश्व विख्यात प्रसिद्ध राममंदिर दीपों की वह जगमगाहट पूरे विश्व का मन मोहेयगी उसमें भी हमारे प्रजापत समाज समाज का योगदान है इसलिए हर जगह हर प्लेटफार्म पर आप सोशल मीडिया के प्रति वह जागृति लाए ताकि आने वाले समय में अपने समाज का दिन दुगना रात चौगुना नाम हो दीपावली की पुनः एक बार आपको और आपके परिवार को बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं।