सिंधिया के शाही महल में झांसी की रानी की एंट्री, 165 साल बाद जय विलास पैलेस में नजर आएंगी वीरांगना लक्ष्मीबाई

हिन्द सागर, संवाददाता: ग्लिवायर में सिंधिया के जय विलास महल में महारानी लक्ष्मीबाई की एंट्री हो गई है. जय विलास पैलेस की नव निर्मित हिस्टॉरिकल गैलरी में एक “गाथा स्वराज की” के नाम से गैलरी बनाई गई है, जिसमें रानी लक्ष्मीबाई सहित देश के 300 मराठा राजाओं के शौर्य को प्रदर्शित किया गया है.

गैलरी में रानी लक्ष्मीबाई सहित पूरे परिवार की शौर्यगाथा शामिल की गई है. इसमें मराठा राजघरानों की याद में ज्योति स्तंभ भी बनाए गए हैं.

165 साल के बाद ग्वालियर के सिंधिया राजघराने में एक बड़ा परिवर्तन हो रहा है. 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ हुई पहली क्रांति की नायिका झांसी की रानी लक्ष्मी बाई अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति का बिगुल बजाते हुए ग्वालियर पहुंची थीं, और यहीं पर उन्हें वीरगति प्राप्त हुई थी. बाद में अंग्रेजों ने उन्हें फिर से सत्तारूढ़ कराया था. तब से अब तक इस मामले को लेकर सिंधिया परिवार लोगों के निशाने पर रहा है. उन पर लक्ष्मीबाई का साथ न देने का आरोप लगाया गया है, लेकिन अब यह आरोपों की तोपें रविवार शाम से खामोश हो रही हैं. अब वीरांगना लक्ष्मीबाई सिंधिया परिवार के शाही महल में स्थाई रूप से और सदैव मौजूद रहेंगी.

 सिंधिया के शाही महल में झांसी की रानी ने मारी एंट्री

लक्ष्मीबाई के लिए तैयार हुई एक नई गैलरी: सिंधिया के जय विलास पैलेस में स्थित म्यूजियम में तैयार की गई एक नई गैलरी “गाथा स्वराज की” के नाम पर है. इसमें मराठा राजाओं के योगदान को दिखाया गया है. इसका उद्घाटन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह कर रहे हैं. इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के परिवार के अलावा केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर सहित अनेक प्रमुख नेता मौजूद रहेंगे. यह संग्रहालय जय विलास पैलेस परिसर में ही स्थित है. जय विलास पैलेस इटली की टस्कन और कोरिंथियन शैली में बना न केवल भारत बल्कि दुनिया के चुनिंदा महलों में से एक है. जिसके पूरे वास्तु में राजसी वैभव छलकता है.

विजयाराजे ने अपने पति के लिए ये म्यूजियम बनवाया था: भव्य कमरों से भरा ये म्यूजियम दिवंगत राजमाता विजयाराजे सिंधिया द्वारा अपने पति महाराजा जीवाजी राव सिंधिया की स्मृति में निर्माण कराया गया था. इसमें सिंधिया राज परिवार की गाथा कहते हुए उनके परिवार से जुड़े सामान आदि को संरक्षित किया गया है. यह म्यूजियम दुनिया के गिने-चुने शाही म्यूजियमों में से एक है, जिसे देखने देश-दुनिया से हजारों दर्शक हर वर्ष ग्वालियर पहुंचते हैं. अब इस म्यूजियम में भारत की राजसी सांस्कृतिक विरासत का एक नया अध्याय जोड़ा गया है.

म्यूजियम की कमान सिंधिया की पत्नी ने संभाला: कुछ वर्ष पूर्व से इस म्यूजियम की देखरेख की कमान केंद्रीयमंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शनी राजे ने संभाली है. तब से इसका पूरा कायाकल्प हो गया है. उन्होंने इसमें लोकल वेंडर्स को प्रमोट करने के लिए फेस्टिवल की व्यवस्था करनी शुरू कर दी है. इसमें मराठा गैलरी की परिकल्पना की है. कोरोना काल शुरू होने के बाद से सिंधिया के बेटे महान आर्यमन सिंधिया ने अपना ज्यादातर समय ग्वालियर के पैलेस में गुजारा है. इस मराठा गैलरी का पूरा कायाकल्प इन दोनों मां-बेटे ने ही किया है. इसे नाम दिया गया है “गाथा स्वराज की “. इस गैलरी को मराठा साम्राज्य के संस्थापक शिवाजी महाराज और सिंधिया साम्राज्य के संस्थापक महादजी सिंधिया को समर्पित किया गया है.