महाराष्ट्र मे तीन शहरों के म्युनिसिपल कमिश्नर सहित मिराभाईंदर आयुक्त का तबादला
★ क्यों नही टिकता मिराभाईंदर मे IAS अधिकारी
★ प्रषासनिक अधिकारियों पर हाबी राजनैतिक दबदबा
★ राजनीति से अछूते नहीं मनपा के प्रभारी अधिकारी
★राजनीति और तबादलों का शिकार “मिराभाईंदर का विकास”
चतुर्भुजा शिवसागर पाण्डेय
हिन्द सागर भाईंदर। महाराष्ट्र के अपर मुख्य सचिव (सेवा) सीताराम कुटें के आदेशानुसार महाराष्ट्र राज्य में मिराभाईंदर सहित नवी मुम्बई तथा उल्हासनगर तीन मनपा मुख्यालयों के आयुक्त का तबादला कर दिया गया है। अब मिराभाईंदर के नए आयुक्त डा. विजय राठौर, नवी मुंबई के अभिजीत बांगर और उल्हासनगर मनपा को डा. राज दयानिधि नए कमिश्नर के रुप में मिले हैं। इन तीनों महानगरपालिकाओं मे तीन अधिकारियों को नया आयुक्त के रुप मे नियुक्त किया गया है।
ज्ञात हो कि कुछ दिनों पहले ही मुंबई मनपा के पूर्व कमिश्नर प्रवीण परदेसी को हटाकर उनकी जगह इकबाल चहल को नया बीएमसी कमिश्नर बनाया गया था।
क्यों नही टिकता मिराभाईंदर मे IAS अधिकारी
ऐसा लगता है कि मिराभाईंदर को कोई अभिशाप मिला हो की यहाँ पर कोई ईमानदारी से काम करनेवाला IAS अधिकारी टिक नही सकता।
इसकी मुख्य वजह यहाँ की दकियानूसी राजनीति है जिसके कारण यहाँ हर साल – छ: महीने मे मनपा आयुक्त आयाराम – गयाराम होते रहते हैं।
प्रशासनिक अधिकारियों पर हाबी राजनैतिक दबदबा
मिराभाईंदर मे प्रशासनिक अधिकारियों पर राजनीति इस कदर हावी हो गया है कि किसी उच्च अधिकारी के आदेश का पालन तब तक नही होता जब तक असरदार नेता मंजूरी न दे दे। यहाँ कितना भी कुशल नेतृत्व वाला अधिकारी क्यों न आ जाए पर रुतबेदार नेता के अवैध बाँधकाम पर हाथ नही डाल सकता।
राजनीति और तबादलों का शिकार “मिराभाईंदर का विकास”
मिराभाईंदर के अधिकारियों पर राजनीति हावी होने के कारण शहर का हर विकास कार्य प्रभावित होता रहता है। यहाँ का अधिकारी वर्ग हर दर्जे के टेंडर को आवंटित करने मे ठेकेदार की योग्यता तथा माल की गुणवत्ता न देखकर ठेकेदार को किस नेता का वरदहस्त प्राप्त है इस बात को तव्वजो देता हैं। इसी कारण इस शहर मे जरूरत से ज्यादा पैसे खर्च करने के बाद भी वर्षों से इस शहर का विकास नही हो पा रहा है। शहर के विकास कार्य में अकसर लापरवाही इसी कारण होता है कि किसी भी विकास कार्य का आगाज किसी अन्य आयुक्त के अन्तर्गत होता है तथा उसको अंजाम तक कोई अन्य आयुक्त पहुंचाता है।