हिन्द सागर/रवि राजहंस,
बेंगलुरु:बेंगलुरू की साहित्यिक संस्था ‘साहित्य संगम’ द्वारा ‘आनलाईन काव्य-गोष्ठी’ का आयोजन रविवार को जूम के माध्यम से किया गया। जिसमें बेंगलुरु के जाने-माने कवियों के साथ-साथ उत्तर प्रदेश और बिहार के कवियों ने भी हिस्सा लिया। कार्यक्रम में हास्य, श्रंगार, वीर रस सहित विभिन्न रसों की काव्य-धारा देर तक बहती रही।कार्यक्रम की अध्यक्षता हाजीपुर बिहार के वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार रवीन्द्र कुमार रतन ने की। इस कार्यक्रम ऐक्सिस बैंक के डिप्टी वाईस प्रेसीडेंट और कवि प्रशांत उपाध्याय मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।कार्यक्रम का शुभारंभ बेंगलूरु की कवयित्री ज्योति तिवारी की सरस्वती वंदना से हुआ। उसके बाद एक एक करके सभी कवियों एवं कवयित्रियों ने काव्य प्रस्तुतियां दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे ने रवीन्द्र कुमार रतन ने स्वर कोकिला लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ‘मिल गया आज अन्तिम आराम, भारत रत्न लता जी को है हमारा शत शत बार प्रणाम’ पंक्तियाँ पढ़ी। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित प्रशांत उपाध्याय ने ‘साथ अभी तो छूटा नहीं है, हाथों से हाथ छूटा नही है’ रचना सुनाई तो सभी श्रोताओं की खूब दाद मिली। संस्था के संरक्षक एवं प्रसिद्ध समाजसेवी राम गोपाल मूंदड़ा ने ‘मेहनत से मिलती है मंज़िल, मेहनत से मंजिल को पाओ, सब कमियों को दूर भगाओ’ और डॉ शशि मंगल ने ‘उलझ गया है जीवन सबका कितना-कितना इसको कुछ सुलझा लो’ रचनाएँ सुनाकर श्रोताओं में ऊर्जा का संचार किया।
लता चौहान ने ‘लिखा मुझे है कई बार और फिर मिटाया है, मैं ऐसा लफ्ज़ हूँ जिसको ना पढ वो पाया है’ और और रवि राजहंस ने ‘चांद को भी देखा तो उसमें भी दाग नजर आए, वो तो आप ही थे जो मुझे बेदाग नजर आए’ रचनाएँ सुनाकर श्रोताओं को श्रंगार रस में सराबोर किया।
राज टेकडीवाल ने ‘एक मनु देश प्रेम में मर्दानी बन गयी, आज प्रजा वो बलिदान भूल गयी’ और गजे सिंह अंजाना ने ‘धन्य हैं मेरा देश जहां देश को गाली देना अधिकार और समर्थन सांप्रदायिक हो जाता है’ रचनाएँ सुनाकर श्रोताओं को अंदर तक झकझोर दिया। सोनिका मिश्रा ने ‘बात बात बात, ऐसी बात वैसी बात जैसी बात क्यों करता रहता बेकार, देखता नहीं अवकात’ रैप सोंग सुनाकर श्रोताओं की तालियाँ बटोरी। मेरठ उत्तर प्रदेश से जुड़ी कविता मधुर ने ‘बनी बनाई राह पर बढना सबकी चाह’ और वरिष्ठ साहित्यकार राश दादा राश ने’ ‘साथी मेरे हिसाब दो, मेरी प्रीत का जवाब दो’ रचनाएँ सुनाकर महफिल में समा बांधा।
हीरेमगलूर नरसिम्हन ने ‘सोने जैसी माटी इसकी अमृत जैसा पानी है, घर घर में गाई जाती भारत की अमर कहानी है’, गया बिहार से जुड़े मणिकान्त मिश्र ने ‘जब से छूटा गांव मेरा पता लापता हो गया’ और डॉ सुनील ‘तरुण’ ने ‘थोड़ी सी गुस्से वाली थी थोड़ी थोड़ी कूल सी, याद बहुत आती है अब भी वो लडकी स्कूल की’ रचनाएँ सुनाकर सभी का दिल जीत लिया। नितीश नाथ कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में स्वर कोकिला लता मंगेशकर के निधन पर शोक व्यक्त किया गया और एक मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। धन्यवाद ज्ञापन लता चौहान ने और संयोजन एवं संचालन डॉ सुनील तरुण ने किया।