हिन्द सागर नोएडा ब्यूरोI उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में अवैध विदेशियों के लिए डिटेंशन सेंटर बनाया गया है. गैर – कानूनी रूप से रह रहे विदेशियों के लिए यह प्रदेश का पहला हिरासत केंद्र है, जो कि बनकर तैयार हो चुका है. गाजियाबाद जिला प्रशासन के अनुसार नंदग्राम इलाके में स्थित छात्रों के लिए बने एक हॉस्टल भवन को डिटेंशन सेंटर में परिवर्तित किया गया है. सरकार द्वारा निर्धारित वीसा मानदंड का उल्लंघन करने वालों को इस हिरासत केंद्र में रखा जाएगा.
जिला कल्याणाधिकारी संजय व्यास ने कहा कि, यह इमारत वर्षों पहले ही हिरासत केंद्र बनाने हेतु प्रशासन को हस्तांतरित कर दी गई थी. उन सभी लोगों को जिन्हें अवैध विदेशी घोषित किया जाएगा, उन्हें इस केंद्र में रखा जाएगा. संजय व्यास ने आगे कहा कि हॉस्टल के भीतर का काम संपन्न हो चुका है जिसमें सभी बुनियादी सुविधाएँ शामिल हैं. हालांकि इमारत के बाहरी हिस्से में कुछ कार्य अभी भी जारी है, जो कि कुछ दिनों के भीतर पूरा कर लिया जाएगा.
अगले माह से शुरू होने वाले इस डिटेंशन सेंटर की सुरक्षा जिला पुलिस के जिम्मे होगी. अधिकारियों के मुताबिक सेंटर की सुरक्षा के साथ वीसा के उल्लंघन के मामले की जाँच भी जिला पुलिस ही करेगी. वहीं अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि हिरासत केंद्र के संचलान के लिए जिला कल्याण समिति प्रभारी के रूप में काम करेगी.
गाजियाबाद से गुजरने वाले दिल्ली – मेरठ राजमार्ग के निकट राजकीय इंटर कॉलेज के पीछे स्थित यह डिटेंशन सेंटर पूर्व में डॉ. आंबडेकर हॉस्टल हुआ करता था. साल 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने अपने कार्यकाल के दौरान दलित एवं आदिवासी समाज के बच्चों के लिए इसका निर्माण करवाया था.
इस हॉस्टल में सूबे के पश्चिमी इलाके से अधिकांश बच्चे पहुँचते थे. लेकिन धीर – धीरे हॉस्टल की मांग में कमी आते गई और कमरों में बच्चों की भर्ती शून्य हो गई. नतीजतन राज्य सरकार ने इसे बंद करना ही उचित समझा. हॉस्टल बंद किये जाने से नाराज बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने भारतीय जनता पार्टी की योगी सरकार पर निशाना साधते हुए उसे दलित और पिछ़ड़ा विरोधी बताया.
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने ट्विट में कहा, ‘गाजियाबाद में बीएसपी सरकार द्वारा निर्मित बहुमंजिला डॉ. आंबेडकर एससी / एसटी छात्र हॉस्टल को अवैध विदेशियों के लिए यूपी के पहले डिटेंशन सेंटर के रूप में कंवर्ट करना अति – दुःखद व अति निंदनीय है. यह सरकार की दलित विरोधी कार्यशैली का एक और प्रमाण है. बीएसपी की मांग है कि सरकार इस फैसले को वापस ले.
डिटेंशन सेंटर की बात करें, तो सुरक्षा की दृष्टि से इसे चाक चौबंद बनाया गया है. इसमें दो प्रवेश द्वार बनाये गये हैं. इमारत के चारों ओर ऊँची दीवरें हैं जिसपर काटेदार फेंसिंग भी की गई है. इमारत और प्रवेश द्वार दोनों ही स्थान पर सीसीटीवी की भी व्यवस्था की गई है.
प्रशासन के मुताबिक कोरोना महामारी के चलते डिटेंशन सेंटर के निर्माण में बाधा उत्पन्न हुई. वरना अबतक इसका संचालन शुरू हो चुका होता. वर्तमान में केवल बॉयज़ हॉस्टल को हिरासत केंद्र में परिवर्तित किया गया है. जिसकी क्षमता 100 से 120 लोगों की है.
देश में सबसे अधिक डिटेंशन सेंटर पूर्वी भारत के असम राज्य में बनाये गये हैं. सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में कहा था कि जो भी अवैध विदेशी अपने कारावस की सजा पूरी कर लेता है, उसे उसके देश डिपोर्ट करने तक इन हिरासत केंद्रों में रखा जाए.