पेइचिंग
कोरोना वायरस को लेकर लगभग पूरी दुनिया चीन की आलोचना करती रही है। उस पर तरह-तरह के आरोप भी लगते रहे हैं। यहां तक कि महामारी के लिए उसे जिम्मेदार ठहराते इसके कारण हुए नुकसान की भरपाई करने को भी कहा जाता रहा है। अब चीन ने साफ शब्दों में इस बात से इनकार कर दिया है। चीन के विदेश मंत्री वॉन्ग यी ने रविवार को दो-टूक कहा है कि चीन से मुआवजे की मांग करने वाले लोग सपने देख रहे हैं। इससे पहले वॉन्ग ने कहा था कि चीन कोरोना वायरस के पैदा होने संबंधी अंतरराष्ट्रीय जांच के लिए खुला है, लेकिन यह जांच राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त होनी चाहिए।
‘खुद को करेंगे अपमानित’
वॉन्ग ने रविवार को कहा, ‘चीन भी दूसरे देशों की तरह वैश्विक महामारी का शिकार हुआ है और दूसरी जरूरतमंद सरकारों की मदद की है। तथ्यों से अनजान कुछ अमेरिकी नेताओं ने बहुत झूठ गढ़े हैं और कई सारी साजिशें रची हैं। इस तरह के मुकदमे अंतरराष्ट्रीय कानून का शासन की कसौटी पर खरे नहीं उतरेंगे और ये विवेक से परे होंगे। यह झूठे, गैर-न्यायसंगत और गैरकानूनी हैं। चीन के खिलाफ इस तरह के वाद जो लोग लाएंगे, वे दिन में ही सपने देख रहे हैं और खुद को अपमानित करेंगे।’
दुनियाभर में उठे सवाल
कोरोना वायरस इन्फेक्शन नवंबर 2016 में चीन के वुहान से शुरू हुआ और फिर इसने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया। धीरे-धीरे इसे लेकर सवाल खड़े होने लगे कि आखिर चीन में वायरस कैसे फैला, चीन ने बाकी दुनिया को इसके बारे में पहले क्यों नहीं बताया और अपने यहां वायरस को रोकने के लिए तेजी से प्रभावी कदम क्यों नहीं उठाए। चीन की भूमिका पर सवाल उठने के साथ ही उसे दुनिया को होने वाले आर्थिक नुकसान का जिम्मेदार भी बताया जाने लगा।
अमेरिका की ओर से जारी हमले
अमेरिका से आरोपों की शुरुआत होने के बाद जर्मनी और फ्रांस जैसे देश भी इस फेहरिस्त में जुड़ने लगे। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने पिछले महीने कहा था कि चीन ने कोरोने का बारे में जानकारी छिपाकर वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने कहा था कि इसकी कीमत भी चीन को चुकानी होगी और अमेरिका को यह सुनिश्चित करना होगा कि चीन पर मेडिकल प्रॉडक्ट्स के लिए निर्भर नहीं रहना पड़े। अमेरिका ने कोरोना को लेकर चीन से अपनी नाराजगी छिपाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। हालांकि, उसके ट्रेड डील रद्द करने की धमकी देने के बाद चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से नरम प्रतिक्रिया दी गई थी। मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कोरोना से लड़ाई में दोनों देशों को आधी-आधी दूरी तय करके एक साथ खड़े होना चाहिए।
जर्मनी ने किया था भरपाई का सवाल
इससे पहले जर्मनी के सबसे बड़े अखबार ‘बिल्ड’ के एडिटर इन चीफ Julian Reichelt को जब चीनी दूतावास की ओर से अखबार की रिपोर्टिंग को लेकर आपत्ति दर्ज कराते हुए लेटर लिखा गया, तो उन्होंने सीधे चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को ओपन लेटर लिखा। उन्होंने चीन पर हमला बोला, ‘हमने अपने अखबार में लिखा कि क्या चीन को दुनियाभर में कोरोना वायरस के चलते हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई करनी चाहिए। इसलिए आपने आपके बर्लिन दूतावास ने हमसे सवाल किया है।’ उन्होंने जानकारी छिपाने को लेकर चीन से कहा, ‘आपके टॉप एक्सपर्ट्स ने तब भी जवाब नहीं दिया जब वेस्ट रीसर्चर्स ने पूछा कि वुहान में क्या हो रहा है। आप सच बताने में बहुत गर्व और राष्ट्रवादिता महसूस कर रहे थे क्योंकि आपको लगा कि यह राष्ट्र की बदनामी है।’