मुख्यमंत्री जन आवास योजना: लापरवाही के कारण नहीं बना आशियाना

जयपुर: ईडब्ल्यूएस-एलआईजी वर्ग (गरीब तबके) के लिए मुख्यमंत्री जनआवास योजना के तहत आवास बनाकर देने के मामले में जेडीए अधिकारियों का बड़ा गैर जिम्मेदाराना रवैया सामने आया है. इस पॉलिसी के तहत विकासकर्ताओं को बहुत-सी रियायतें अथवा छूट देकर प्रोजेक्ट्स तो अनुमोदित कर दिए, लेकिन उन प्रोजेक्ट्स में कितने आवास बने, उनका आवंटन हुआ या नहीं इसको लेकर कोई मॉनिटरिंग नहीं की.

सरकार और अफसरों के बदलने का असर है की 36 हजार लोगों के फ्लैट भी अटक गए हैं. पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने राजधानी में मुख्यमंत्री जनआवास योजना के तहत एक के बाद एक 58 प्रोजेक्ट को मंजूरी दी. इनमें से 36 हजार फ्लैट बनने थे. कुछ बिल्डर्स ने काम तो शुरू कर दिया कुछ के प्रोजेक्ट दो से तीन साल बीत जाने के बाद धरातल पर नहीं आ पाए हैं..सरकार बदली तो जेडीए की प्राथमिकता बदलती और रही सही कसर जेडीए में अधिकारियों के तबादलों ने पूरी कर दी.

स्थिति यह है की जेडीए अब तक यह तय नहीं कर पाया की 58 प्रोजेक्ट में से कितने पूरे हो चुके हैं और कितनों का काम पूरा होने में देरी हो रही हैं. इस लापरवाही के चलते मध्यम और अल्प आय वर्ग के लोगों को अपनी छत नसीब होने में देरी लग रही हैं. इतना ही नहीं कुछ लोगों ने तो प्रोजेक्ट के शुरू होने के साथ  ही पैसा जमा कर चुके हैं. इनको ना तो आवास मिला और ना ही पैसे वापस मिल रहे हैं. दरअसल योजना के तहत अधिकतर काम बिल्डर्स को करना होता है सरकार की ओर से बिल्डिंग बनाने का कंवर्जन, मानचित्र अनुमोदन सहित छूट दी जाती है. जेडीए को समय से प्रोजेक्ट पूरा कराने की जिम्मेदारी हैं.

मुख्यमंत्री जन आवास योजना के प्रावधानों के तहत जेडीए ने 15 प्रोजेक्ट्स (स्वतंत्र आवासों की स्कीम) अनुमोदित किए, जिसमें लगभग 897 आवास सृजित किए जाने हैं. इनमें से 11 विकास विकासकर्ताओं ने रेरा में रजिस्ट्रेशन करवा लिया, लेकिन 4 ने नहीं. इसी तरह मुख्यमंत्री जन आवास योजना के अन्य दूसरे प्रावधानों के तहत 58 प्रोजेक्ट्स (बहुमंजिला फ्लैट्स बनाने के) अनुमोदित किए. जिनमें से केवल 23 प्रोजेक्ट्स के विकासकर्ताओं ने ही रेरा में रजिस्ट्रेशन करवाया जबकि शेष ने तो रजिस्ट्रेशन ही नहीं करवाया.

बताया जा रहा है कि इनमें रेरा में रजिस्टर्ड प्रोजेक्ट्स के लिए अधिकांश ने तो आवास आवंटन के लिए आवेदन भी ले लिए, लेकिन इन सभी प्रोजेक्ट्स के विकासकर्ताओं ने उन आवेदनों की सूची अब तक जेडीए को नहीं सौंपी. जेडीए सूत्रों की माने तो 58 प्रोजेक्ट्स (बहुमंजिला फ्लैट्स बनाने के) में करीब 30 हजार से ज्यादा आवासों का निर्माण किया जाना है, लेकिन इनमें से केवल 20 हजार आवासों का ही निर्माण कार्य शुरू हुआ है. जबकि 10 हजार से ज्यादा आवासों का निर्माण अब तक शुरू नहीं हुआ. जबकि नियमानुसार नक्शा अनुमोदन के 60 दिन के अंदर रेरा में रजिस्ट्रेशन करवाकर मौके पर कार्य शुरू करना और आवेदन आमंत्रित करना होता है. यही नहीं प्राप्त आवेदनों की सूची भी जेडीए को देनी होती है.

बहरहाल, मौजूदा जेडीसी गौरव गोयल की प्राथमिकता जेडीए का राजस्व बढ़ने की है वे अपनी पहली बैठक से ही इसी पर फोकस कर रहे हैं. वहीं, तत्कालीन जेडीसी टी.रविकांत ने इन आवासों को गति देने की कोशिश की थी लेकिन उपायुक्तों ने उनका साथ नहीं दिया. 14 माह बीत जाने के बाद भी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है. जब उपायुक्तों ने ग्राउंड रिपोर्ट जेडीसी को नहीं दी तो एक्सईन को जिम्मेदारी दी गई है.