- डावखर इन्फ्रास्ट्रक्कर प्रायवेट लिमिटेड के खिलाफ दाखिल की गई जनहित याचिका को बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्थायी रूप से किया खारिज ।
डोंबिवली : डावखर इन्फ्रास्ट्रक्कर प्रायवेट लिमिटेड के खिलाफ दाखिल की गई जनहित याचिका को बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्थायी रूप से खारिज कर दिया है। साथ ही कोर्ट ने जिलाधिकारी और आयुक्त को तकनीकी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए भूमि की पुनः जांच कर अंतिम निर्णय देने के निर्देश दिए हैं। डावखर ग्रुप ने स्पष्ट किया कि भारतीय संविधान के तहत हर नागरिक को शिकायत करने का अधिकार है और उनका समूह इस अधिकार का पूर्ण सम्मान करता है। दो व्यक्तियों ने इस अधिकार का उपयोग करते हुए आरोप लगाया था कि डावखर एलीगन्स प्रकल्प, जिसमें 200 परिवार निवास कर रहे हैं और जिसे 2023 में ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट मिला है। रक्षा भूमि पर बनाया गया है। इससे पहले, जिलाधिकारी और आयुक्त ने सुनवाई के बाद एक लिखित आदेश जारी कर स्पष्ट किया था कि यह भूमि निजी स्वामित्व वाली है। इसका रिपोर्ट 5 नवंबर 2020 को रक्षा विभाग को भी भेजा गया था। इस विषय को एक विधायक ने भी विधानमंडल सत्र में उठाया था, जिसका जवाब राजस्व विभाग ने दिया था। रिपोर्ट में बताया गया कि इस क्षेत्र में 220 से अधिक भूखंड और 72 से ज्यादा इमारतें शामिल हैं। इसके बावजूद आरोप लगाने वालों ने जानबूझकर डावखर एलीगन्स को निशाना बनाते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी, जो अब खारिज कर दी गई है। डावखर ग्रुप ने सभी निवासियों, भागीदारों और जनता से अपील की है कि अंतिम निर्णय आने तक किसी निष्कर्ष पर न पहुंचे। सभी दस्तावेज 1928 से उपलब्ध हैं और 97 वर्षों की सरकारी अभिलेखों से उनकी स्वामित्व की पुष्टि होती है। इच्छुक व्यक्ति वैभव कोल्हे से समय लेकर दस्तावेजों का अवलोकन कर सकते हैं। समूह ने मीडिया से भी अपील की है कि वे सनसनी फैलाने से बचें और निष्पक्षता बरतें, क्योंकि जनता की गलतफहमी से गंभीर परिणाम हो सकते हैं। साथ ही, डावखर ग्रुप ने उन दो व्यक्तियों के खिलाफ कल्याण कोर्ट में 7 करोड़ का मानहानि का दावा दायर किया है, जिन्होंने जानबूझकर झूठे आरोप लगाए। डावखर ग्रुप ने स्पष्ट किया है कि इस मामले में कोई समझौता नहीं किया जाएगा और कानूनी मार्ग से ही कार्रवाई की जाएगी डावखर ग्रुप ने विश्वास जताया है कि सत्य जल्द ही सबके सामने आएगा और सभी के धैर्य एवं समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया है।