फूलों की नगरी बेंगलुरु में आचार्य श्री वेदानंद शास्त्री जी का हुआ पदार्पण, लगातार तीन दिन होगी धर्म और ज्ञान की वर्षा।

हिन्द सागर, बेंगलुरु

बेंगलुरु में शुरू हुआ भव्य एवं दिव्य दशवां स्कंध पुराण का कथा, कथा का आयोजन धार्मिक रीति और नीति से किया गया,
जिसमें पूरे उत्तर भारतीय संगठनों के अनूठे प्रयास से कार्यक्रम को अमली जोड़ा पहनाया गया ।
पूज्य गुरु जी के मुखार विंदु से भगवान श्री कृष्ण का सुंदर भजन का मधुर संगीत का प्रस्तुति हुआ, जिससे पंडाल में उपस्थित समस्त भक्तों ने भक्ति धुन में ताली बजाते हुए खूब ठुमका लगाया।
इस कथा में पुरुषोत्तम मास की महिमा का वर्णन करते हुए इस मास का हर पल लौकिक और भगवान का सेवा करने का पल होता है।इस पर विशेष बातों का ज़िक्र किया।
“सत्संग और भागवत् प्रेम ही मानव कल्याण का उत्तम मार्ग है पर लोगों का ध्यान आकर्षित करते हुए पुरुषोत्तम मास के ऊपर विशेष व्याख्यान प्रस्तुत किए। शास्त्री जी नें संसार में विद्यमान तीन दुर्लभ वस्तुओं की बात कही इस लोक में मानव जीवन, भागवत् कथा का श्रवण और मोक्ष की प्राप्ति पर विशेष कथा कही, साथ ही साथ मानव जीवन में धर्म के महत्त्व पर भी बताया गया, और कहा जब-जब धर्म की हानि होती है तब-तब ईश्वर अवतार लेते हैं, इसी परिप्रेक्ष्य में भगवान श्री कृष्ण के बाल लीला और जन कल्यार्थ हेतु किए गये कार्यों की व्याख्या प्रस्तुत किए।इस कथा के दिव्य उद्गार में पूर्वांचल से लेकर पश्चिमांचल तक , उत्तरांचल से दक्षिणांचल तक के लोगों के साथ हज़ारों की संख्या में श्रीमद भागवत प्रेमी उपस्थित रहे। कथा के मुख्य आयोजकों में आशुतोष कुमार, निशु कमल, अभिषेक ब्रह्मृषि, उदय सिंह, संजय सिंह, बीर बहादुर सिंह, डॉ रवि राजहंस, सुनील यादव, अमित, दीपक आदि लोगों के कठिन परिश्रम से यह भव्य कथा का आयोजन किया जा रहा है, जो पूरे उत्तर भारतीयों के लिए गर्व का विषय है। कथा के उपरांत भोजन प्रसादी का भी लोगों ने लुफ्त उठाया।