ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का 96 साल की उम्र में निधन, बना इतिहास

हिन्द सागर, एजेंसी, विषेश संवाददाता। ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ एलेक्जेंड्रा मैरी (द्वितीय) का गुरुवार को स्काटलैंड के बालमोरल कैसल में निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रही थीं।

96 वर्षीय महारानी छह फरवरी, 1952 को ब्रिटिश साम्राज्य की शासक बनीं। महारानी एलिजाबेथ कुल 70 साल और 211 दिन तक सिंहासन पर रहीं। वह दुनिया की सबसे लंबे समय तक शासन प्रमुख रहीं। ब्रिटेन के किंग जार्ज (छठे) और महारानी एलिजाबेथ की संतान एलिजाबेथ द्वितीय का विवाह 1947 में फिलिप माउंटबेटन से हुआ था।

एलिजाबेथ और प्रिंस फिलिप की चार संतानें

फिलिप ग्रीस और डेनमार्क के प्रिंस थे। उनका निधन पिछले साल अप्रैल में हो गया था। महारानी एलिजाबेथ और प्रिंस फिलिप की चार संतानें हैं। सबसे बड़े बेटे प्रिंस चा‌र्ल्स अब ब्रिटेन की राजगद्दी संभालेंगे। उनके दो भाई- प्रिंस एंड्रयू, प्रिंस एडवर्ड और बहन प्रिंसेस हैं।

25 साल की उम्र में बनीं महारानी

एलिजाबेथ द्वितीय अपने पिता जार्ज-6 की मृत्यु के बाद छह फरवरी, 1952 को सिर्फ 25 साल की उम्र में सिंहासन पर बैठीं। एलिजाबेथ अपने पिता की मृत्यु के समय केन्या में थीं और देश की महारानी के रूप में घर लौटीं।

15 देशों की महारानी

महारानी एलिजाबेथ द्वितीय न केवल ब्रिटेन बल्कि 15 अन्य देशों की भी महारानी थीं। हालांकि वे सीधे तौर पर ब्रिटेन से ही जुड़ी हुई थीं।

इन देशों की राष्ट्राध्यक्ष

ब्रिटेन के अलावा वे कनाडा, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जमैका, बहामास, ग्रेनाडा, पापुआ न्यू गिनी, सोलोमन द्वीप, तुवालु, सेंट लूसिया, सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस, एंटीगुआ और बारबुडा की भी रानी थीं।

महारानी के मुकुट में जड़े कोहिनूर हीरे पर भारत वर्षों से कर रहा दावा

आपको बता दें कि महारानी का यह मुकुट कोहिनूर हीरे से जड़ा हुआ है। इस मुकुट में 105.6 कैरेट का हीरा लगा है, जिसे सैंकड़ों साल पहले निकाला गया था। यह हीरा 14वीं शताब्दी में भारत में पाया गया था और समय के साथ-साथ यह हीरा अलग-अलग स्थानों पर पहुंचता गया। 1849 में ब्रिटिश शासन के दौरान यह हीरा महारानी विक्टोरिया को सौंपा गया था और तभी से कोहिनूर हीरा क्वीन एलिजाबेथ के सिर की शोभा बढ़ा रहा था।

कितनी है राजमुकुट की कीमत ?

यह तो आप समझ गए होंगे कि यह क्राउन बेशकीमती है, लेकिन फिर भी लोग इसकी कीमत जानने के लिए हमेशा उत्सुक रहते हैं। आपको बता दें कि इस क्राउन की कीमत का हमेशा अंदाजा ही लगाया है, क्योंकि जिस हिसाब के रत्न और ज्वैलरी इसमें जड़ी है उससे इसकी कीमत का अंदाजा ही लगाया जा सकता है। कहा जाता है कि महारानी के इस मुकुट की कीमत तकरीबन 3600 करोड़ रुपए है। वहीं पूरे सेट की कीमत 4500 करोड़ बताई जाती है।

कॉमनवेल्थ यानी गुलामी की पहली छाप

कॉमनवेल्थ का नया मुखिया ब्रिटेन का राजा चार्ल्स तृतीय है। यानी गुलाम देश औपचारिक तौर पर आजाद होने के बाद भी अनौपचारिक गुलाम आज भी हैं? क्वीन एलिजाबेथ के निधन की बीबीसी अंग्रेजी वेबसाइट पर जो पहली खबर छपी थी उसका प्वांइटर था, ‘महारानी एलिजाबेथ ग्रेट ब्रिटेन के अलावा ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड, कनाडा और जमैका समेत 14 देशों हेड ऑफ स्टेट और कॉमनवेल्थ की मुखिया थीं। सबसे अहम् बात यह कि कॉमनवेल्थ का मुखिया होने के नाते यूनाईटेड किंगडम के राजा को इन देशों में जब चाहे आ और जा सकता है। अपनी मर्जी से घूम सकता है। उसकी सुरक्षा और सुविधाओं की जिम्मेदारी उस कॉमनवेल्थ देश की होगी जिसका वो उपभोग करना चाहेगा।

अधिकांश लोगों को 13 अक्टूबर 1997 को क्वीन एलिजाबेथ की तीसरी भारत यात्रा की जानकारी तो होगी ही। उस समय इंद्र कुमार गुजराल प्रधानमंत्री और केआर नारायणन राष्ट्रपति थे। क्वीन एलिजाबेथ और उनके सहचर बिना वीजा के भारत भ्रमण पर थे। विपक्षी दल भी हो-हल्ला करके शांत हो गए थे।

तीन बार भारत के दौरे पर आई थी एलिजाबेथ द्वितीय 

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महारानी एलिजाबेथ पहली बार 21 जनवरी 1961 को भारत दौरे पर आई थीं। तत्कालीन पीएम पं. जवाहरलाल नेहरू और तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर उनका स्वागत करने पहुंचे थे। वह डॉ. राजेंद्र प्रसाद के न्यौते पर गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने आई थीं।

7 नवंबर 1983 को दूसरी बार भारत आई थीं महारानी

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एलिजाबेथ द्वितीय की दूसरी भारत यात्रा 7 नवंबर 1983 को हुई थी। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जेल सिंह ने उनका स्वागत किया था। इसी दौरान उन्होंने मदर टेरेसा को मानद सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ द मेरिट’ प्रदान किया था।

तीसरी बार आने पर जलियांवाला बाग हत्याकांड को दुखद बताया था

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दिवंगत महारानी इसके बाद 13 अक्टूबर 1997 को तीसरी बार भारत आई थीं। तब तत्कालीन पीएम इंद्र कुमार गुजराल और तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन ने उनका स्वागत किया था। इसी दौरान शाही दंपती ने आजादी के आंदोलन के दौरान हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड का जिक्र करते हुए उसे दुखद बताया था। इसके बाद महारानी और उनके प्रिंस फिलिप ने जलियांवाला बाग स्मारक जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की थी।

पीएम मोदी को बताया गांधीजी द्वारा रुमाल भेंट करने का किस्सा

महारानी एलिजाबेथ द्वितीय से पीएम नरेंद्र मोदी ने 2015 और 2018 में अपनी ब्रिटेन यात्रा के दौरान मुलाकात की थी। पीएम ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा है कि वह उनकी गर्मजोशी और दयालुता को नहीं भूलेंगे। बकौल पीएम महारानी ने एक मुलाकात के उन्हें वह रूमाल दिखाया था, जो महात्मा गांधी ने उन्हें उनकी शादी में उपहार में दिया था।