सोमालिया के खतरनाक आतंकी संगठन अल-शबाब की खुफिया जानकारी

हिन्द सागर, संवाददाता: पूर्वी अफ्रीकी देश सोमालिया की राजधानी मोगादिशु से शुक्रवार को खबर आई कि अल-शबाब नाम के आतंकी संगठन ने एक होटल पर कब्जा कर लिया है. लोगों को मार दिया है. बहुत सारे लोगों को बंधक बना लिया है अब वो सोमाली सेना से लोहा ले रहे हैं।

अल-शबाब के कारनामे

  • अल-शबाब ने किया था मोगादिशु पर मुंबई 26/11 जैसा हमला
  • गृहयुद्ध के बीच से खुद को खड़ा किया, आय के कई साधन
  • अपनी निष्ठाएं बदलता रहा है संगठन, लेकिन हमेशा रखा खुद को प्रासंगिक

भारत में अल-शबाब का नाम शायद ही कोई जानता हो, लेकिन अफ्रीकी महाद्वीप में ये आतंकी संगठन सबसे दुर्दांत आतंकी संगठनों में गिना जाता है. ये सिर्फ आतंकी संगठन ही नहीं है, बल्कि सरकार चलाता है. सेना से झड़पे होती हैं. सरकार में हिस्सा मिलता है इनके लड़ाकों की संख्या इतनी ज्यादा है कि ये किसी भी छोटे-मोटे देश पर देखते ही देखते कब्जा कर लें. बहरहाल, मोगादिशु में हयात होटल पर कब्जा 30 घंटों से भी ज्यादा समय तक चला. इस हमले में 20 से ज्यादा लोग मारे गए. होटल पूरी तरह से तबाह हो गया. हमलावर भी मारे गए, लेकिन सभी नहीं. स्थानीय पत्रकारों का दावा है कि अल-शबाब के कुछ आतंकी सेना की घेरेबंदी के बीच से भी निकलने में कामयाब रहे. इस तरह से ये आतंकी हमला भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई पर 26/11 जैसा साबित हुआ. इतनी तबाही मचाने वाले अल-शबाब की लाए हैं हम आज कुंडली….

अल-शबाब आखिर है क्या?

सबसे पहले तो ये जानिए कि अल-शबाब आखिर है क्या. इस संगठन का पूरा नाम है: हरकत-अल-शबाब-अल-मुजाहिद्दीन (Harakat al-Shabaab al-Mujahideen). इसे अंग्रेजी में मुजाहिद्दीन यूथ मूवमेंट या मूवमेंट ऑफ स्ट्राइविंग यूथ भी कहा जाता है. लेकिन पूरी दुनिया में ये अपने अल-शबाब नाम से ही जाना जाता है. वैसे तो अल-शबाब एक जेहादी संगठन है. इसने साल 2012 में अलकायदा की सरपरस्ती स्वीकार कर ली थी. इसलिए इसे आधिकारिक तौर पर अल-कायदा से ही जुड़ा हुआ माना जाता है. लेकिन हकीकत में ये अल-कायदा से अलग है. इसके काम करने का तरीका अलग है. अल-शबाब के पास अपनी जमीन है. कभी सरकार पर भारी पड़ता है ये गुट, तो कभी विरोधी गुटों को मदद पहुंचाता है. दरअसल, अल-शबाब बाकी आतंकी संगठनों से अलग है. इस गुट में भी दो गुट हैं, एक राष्ट्रवादी दूसरा अंतरराष्ट्रवादी. इसके संबंध स्थानीय कबीलाइयों से हैं. इसके पास मौजूदा समय में 8000 से 15000 लड़ाके मौजूद हैं. इसका कार्यक्षेत्र सोमालिया के अलावा केन्या इथियोपिया तक है. इसे दूसरे देशों से मदद भी मिलती है. तो सरकार के साथ गठबंधन कर कभी ये सरकार में भी शामिल होता है. तो इस संगठन का मकसद सिर्फ जेहाद के नाम पर कुर्बानी देना ही नहीं है, बल्कि अपना हिस्सा भी लेना है.

अल-शबाब के बड़े आतंकी संगठनों से जुड़ाव

अल-शबाब का जुड़ा अलकायदा के साथ तो रहा ही है. साथ ही अलकायदा की अफ्रीकी शाखा एक्यूआईएम के साथ भी अल-शबाब जुड़ा रहा है. इसके नाइजीरिया के दुर्दांत आतंकी संगठन बोको हरम से भी संबंध रहे हैं तो हिजबुल इस्लाम इस्लामिक स्टेट से भी इसका जुड़ाव रहा है. खास बात ये है कि जैसे इस संगठन का कोई एक माई-बाप नहीं है ये अपनी निष्ठा बदलता रहा है, वैसे ही इसके लड़ाकों की भी हालत रही है. इसके सैकड़ों हजारों साथी एक ही बार में सरकार के पक्ष में चले गए थे. कभी इसके लड़ाके बड़ी संख्या में करीब 700 लड़ाके एक साथ अमेरिकी, इरीट्रियाई सेना के सामने हथियार डाल चुके हैं. कभी सरकार में शामिल रहा ये संगठन अब सरकार के खिलाफ खड़ा है बड़े-बड़े हमलों को अंजाम दे रहा है.

बाकी आतंकी संगठनों से अलग रुख

अल-शबाब के आतंक के किस्से तो दुनिया जानती है, लेकिन ये बाकी आतंकी संगठनों से अलग भी काम करता है. साल 2020 में अल-शबाब ने अपने इलाकों में कोरोना की उपस्थिति न केवल स्वीकारी थी, बल्कि कोरोना से लड़ने के लिए एक अलग सेंटर भी बनाया था. इसके अलावा अल-शबाब अपने इलाकों में साल 2017-18 से ही सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूरी तरह से बैन लगा चुका है. ये संगठन अमेरिका जैसे देशों की खिल्ली भी उड़ाता रहा है कि मानवजनित जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार चीजों पर अमेरिका से बेहतर काम एक आतंकी संगठन कर रहा है. अल-शबाब अपने इलाकों में स्कूल, अस्पताल भी चलाता है, तो लोगों की मदद के लिए स्थानीय स्तर पर तमाम कार्यक्रमों का आयोजन करता है.

इन देशों ने लगाया है बैन

अल-शबाब वैसे तो वैश्विक रूप से प्रतिबंधित संगठन है. लेकिन कुछ देशों ने अपने स्तर पर भी इसपर बैन लगाया है. अमेरिका ने 2008 में ही अल-शबाब को प्रतिबंधित कर दिया था. ऑस्ट्रेलिया ने साल 2009 में, न्यूजीलैंड-कनाडा-यूके ने साल 2010 में, यूएई ने 2014, सिंगापुर ने साल 2016 में इस पर बैन लगाया है.

कैसे इतना बड़ा बना अल-शबाब?

अल-शबाब का जन्म इस शताब्दी के शुरुआत में हुआ. सोमालिया (Somalia) में अव्यवस्था फैली हुई थी. गृहयुद्ध छिड़ा हुआ था. अल-शबाब ने सोमाली गृहयुद्ध के बीच ही खुद को खड़ा किया. अल-शबाब (Al-Shabaab) हार्ड लाइनर रहा. उसने सूफी विचारधारा वाले अहलू सुन्ना वलजामा (Ahlu Sunna Waljama) के मुकाबले खुद को खड़ा किया. ताकत में दोनों एक जैसे ही रहे. लेकिन अब अल-शबाब अपने सबसे मजबूत दौर से गुजर रहा है. मौजूदा समय में अल-शबाब के पास करीब 15000 लड़ाके हैं. इसने सोमालिया में नए राष्ट्रपति के शपथ लेने के कुछ महीनों बाद सबसे बड़ा हमला कर के ये आभास दे दिया है कि सोमालिया में सत्ता भले ही बदल गई हो, लेकिन असली ताकत उसके पास है.