सरकारी आंकड़ों में घटती महंगाई आम लोगों को महसूस क्यों नहीं हो रही ?

इसी हफ़्ते जारी सरकारी आंकड़े के अनुसार ख़ुदरा मंहगाई में पिछले पांच माह में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज़ की गई है.

सरकार का कहना है कि सितंबर महीने में मंहगाई की दर घटकर 4.35 फ़ीसदी रह गई. एक महीने पहले यानी अगस्त के महीने में ये 5.3 फ़ीसदी पर थी. सरकार का ये भी दावा है कि सितंबर में खाने-पीने के सामानों के दाम भी अगस्त के 3.11 प्रतिशत के मुक़ाबले 0.68 प्रतिशत गिरे हैं.

बीबीसी हिंदी के देश के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद सहयोगियों ने आम लोगों से बातचीत कर ये जानने की कोशिश की है कि क्या मंहगाई वाक़ई कम हो रही है? यदि नहीं तो महंगाई उनके जीवन को कैसे प्रभावित कर रही है? हमने लोगों से ये भी पूछा है कि यदि मंहगाई वाक़ई है तो फिर ये मुद्दा क्यों नहीं बन पा रही?

बात सबसे पहले देश के उत्तर-पूर्व के राज्य असम की करते हैं. उसके बाद जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश के हालात का भी जायज़ा लेंगे.

असम के मरियानी शहर में एक दवा की दुकान पर काम करने वाले 36 साल के बापन डे से मंहगाई के बारे में सवाल पूछा. लेकिन जवाब देने से पहले वो मीडिया से इस बात पर नाराज़ दिखे कि वो इस मसले पर चर्चा नहीं करती. उसके बाद वो एक के बाद एक चीज़ों की बढ़ी हुई क़ीमतों को गिनाना शुरू कर देते हैं.