“लॉकडाउन की अवधि के बारे में फ़र्ज़ी समाचारों से उत्पन्न भय के कारण बड़ी संख्या में प्रवासी कामगार का प्रवासन शुरू हो गया था और लोग, विशेषकर प्रवासी कामगार, भोजन, पेयजल, स्वास्थ्य सेवाओं और आश्रय जैसी मलूभूत आवश्यकताओं की पर्याप्त आपूर्ति के बारे में चिंतित थे. तथापि, केंद्र सरकार इस बात के प्रति सजग थी और उसने यह सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक उपाय किए कि अपरिहार्य लॉकडाउन की अवधि के दौरान कोई भी नागरिक भोजन, पेयजल, चिकित्सा सुविधाओं आदि की मूलभूत सुविधाओं से वंचित न हो.“
इसके साथ ही केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने संसद में केवल दो शब्दों में ये बयान कर दिया कि बंटवारे के बाद भारत के इतिहास की संभवत: सबसे बड़ी मानव त्रासदी आख़िर क्यों हुई. और वो शब्द थे – फ़र्ज़ी समाचार.
लेकिन ये पहला मौका नहीं था जब केंद्र सरकार ने प्रवासी मजदूरों के पलायन के लिए फ़र्ज़ी समाचारों को ज़िम्मेदार ठहराया हो. लॉकडाउन की शुरुआत से लेकर कई हफ़्तों तक केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट से लेकर टीवी चैनलों तक प्रवासी मजदूरों के पलायन के लिए विपक्षी दलों और फ़र्ज़ी ख़बरों को ज़िम्मेदार ठहराती रही है.