गार्डन से ऑनलाइन सुनवाइयों पर भड़का ओडिशा हाईकोर्ट

उड़ीसा उच्च न्यायालय ने स्टेट बार काउंसिल और हाई कोर्ट बार एसोसिएशन को कहा कि वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होने के दौरान वकीलों को शालीनता बनाए रखने की सलाह दें। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामलों की सुनवाई के दौरान वकीलों के आचरण पर नाखुशी व्यक्त करते हुए न्यायमूर्ति बिस्वनाथ रथ ने कहा, “अदालत परिसर से बाहर सुनवाई करने का ये मतलब नहीं है कि चलती गाड़ी, गार्डन या अपने पति-पत्नी के साथ ड्राविंग रूम में बैठकर मामले पर बहस की जाए।”

खारिज की गई एक नागरिक विविध याचिका की सुनवाई करते हुए, न्यायमूर्ति रथ ने टिप्पणी की कि वकीलों को अपने घर या अस्थायी निवास से बहस करने के दौरान कम से कम मूल शालीनता और डेकोरम का ध्यान रखना चाहिए। न्यायमूर्ति रथ ने एक ऐसे मामले का उल्लेख किया जिसमें एक वकील ने चलती कार के अंदर से अपने मामले की दलील दी, उसने पुरी में किसी अन्य मामले में भाग लिया था इसलिए वो अपने निवास स्थान से बहस करने में असमर्थ था। जिस पर न्यायमूर्ति रथ ने कहा, “यह अदालत सड़क पर एक वाहन के अंदर एक मामले के सनवाई की गंभीरता से निंदा करती है।

न्यायमूर्ति रथ ने कहा, “कोरोना काल में अदालत परिसर से बाहर सुनवाई करने का मतलब ये नहीं है कि एक चलती गाड़ी, गार्डन या ड्राविंग रूम से पत्नी के सामने मामले की सुनवाई हो, एक बार एक मामले की सुनवाई खत्म करने के बाद एक वकील अपनी पत्नी के साथ जाकर बैठ गए अदालत के बार-बार कहने पर भी जब स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो अदालत को उनका कनेक्शन काटना पड़ा।” एक दूसरे उदाहरण में एक वकील ने ये कहकर बगीचे से सुनवाई की कि उनके घर के भीतर इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं मिल पा रही है जो बात बाद में गलत साबित हुई और बाद में ये वकील ही खाने के लिए अपने घर के अंदर जाते हुए दिखे।

इससे पहले भी कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जून में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान एक वकील को टी शर्ट पहने लेटकर सुनवाई करते देखा गया जिसके बाद वकील को अदालत से माफी मांगनी पड़ी इससे पहले अप्रैल में राजस्थान उच्च न्यायलय में एक वकील ने बनियान पहन कर जमानत के मामले की सुvवाई में हिस्सा लिया था।