सचिन पायलट राजस्थान की राजनीति से दूर नहीं होंगे

सचिन पायलट ने कांग्रेस आलाकमान को साफ संदेश पहुंचा दिया कि वे दिल्ली की राजनीति में नहीं जाना चाहते वे प्रदेश में ही रहना चाहते हैं।

जयपुर। सचिन पायलट राजस्थान की राजनीति में ही सक्रिय रहेंगे। पायलट ने पार्टी आलाकमान को साफ संदेश पहुंचा दिया कि वे दिल्ली की राजनीति में नहीं जाना चाहते, वे प्रदेश में ही रहना चाहते हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ 35 दिन तक चले विवाद के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी व महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के दखल के बाद पायलट शांत हुए थे। पार्टी आलाकमान ने पिछले दिनों उन्हें दिल्ली में सक्रिय होने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया। सूत्रों के अनुसार, पायलट ने राहुल गांधी व प्रियंका गांधी वाड्रा से कहा बताया कि प्रदेश में वे समर्थक विधायक और कार्यकर्ताओं के बीच रहकर ही पार्टी के लिए काम करेंगे।

सात सितंबर को पायलट के जन्मदिन पर प्रदेशभर में रक्तदान शिविर आयोजित कर उनके समर्थकों ने यह संदेश देने का प्रयास किया कि वे कमजोर नहीं हैं। पूरे प्रदेश में पायलट की पकड़ है। प्रदेश में ऐसा पहली बार हुआ कि किसी नेता के आह्वान पर करीब 45 हजार यूनिट रक्त एकत्रित किया गया हो। कोरोना महामारी को देखते हुए पायलट ने अपने समर्थकों से जयपुर नहीं आने और भीड़भाड़ वाला कार्यक्रम आयोजित करने के बजाय अपने-अपने क्षेत्रों में रक्तदान शिविर आयोजित करने के लिए कहा था। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अजय माकन तीन दिन तक प्रदेश में रहे तो उनके समर्थकों ने उन्हें भी साफ कह दिया कि पायलट को प्रदेश की राजनीति से दूर नहीं किया जाना चाहिए। राष्ट्रीय राजनीति के बजाय पायलट को प्रदेश में ही रहने देना चाहिए। पायलट अगले माह से प्रदेश के दौरे का कार्यक्रम बना रहे हैं। वे सभी जिलों में जाएंगे।

सचिन पायलट बोले, हर व्यक्ति को बात कहने की छूट

पायलट ने शुक्रवार को जयपुर स्थित अपने आवास पर मीडिया से बात करते हुए कहा कि अजय माकन ने खुले वातावरण में प्रदेश के लोगों की बात सुनी। पार्टी में जोश है। हर व्यक्ति को अपनी बात कहने की छूट है। लोकतंत्र में फीडबैक कार्यक्रम अच्छी परिपाटी है। माकन ने सभी लोगों से फीडबैक लिया है। उम्मीद है लोगों से मिले फीडबैक पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी शीघ्र कदम उठाएगी। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की बात जायज है। देश की अर्थव्यवस्था को लेकर भयंकर संकट है। पीएम नरेंद्र मोदी ने दो करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था, लेकिन इससे कहीं अधिक नौकरियां खत्म हो गईं। चीन हमारी सीमा में घूस रहा है।