सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत, दो महीने तक कोई भी लोन NPA नहीं

लोन मोरेटोरियम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लोगों को अंतरिम राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर अगस्त तक कोई बैंक लोन अकाउंट एनपीए घोषित नहीं है तो उसे अगले दो महीने तक भी एनपीए घोषित न किया जाए.

लोन मोरेटोरियम (यानी लोन चुकाने की अवधि टालने) के  मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लोगों को अंतरिम राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर अगस्त तक कोई बैंक लोन अकाउंट एनपीए घोषित नहीं है तो उसे अगले दो महीने तक भी एनपीए घोषित न किया जाए. 

गौरतलब ​कि अगर किसी लोन की ईएमआई लगातार तीन महीने तक न जमा की जाए तो बैंक उसे एनपीए यानी गैर निष्पादित परिसंपत्ति घोषित कर देते हैं. एनपीए का मतलब यह है कि बैंक उसे फंसा हुआ कर्ज मान लेते हैं. ऐसे कर्जधारकों की रेटिंग खराब हो जाती है और आगे उन्हें लोन मिलने में काफी दिक्कत होती है. 

लोन मोरेटोरियम मामले में अब सुनवाई अगले हफ्ते 10 सितंबर को जारी रहेगी.आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां काफी महत्वपूर्ण रहीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार लोन न चुका पाने पर किसी पर जबरन कार्रवाई न करे. 

सरकार ने दिया है हलफनामा 

लोन मोरेटोरियम पर सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दिया है. सरकार ने यह संकेत दिया है कि मोरेटोरियम को दो साल तक बढ़ाया जा सकता है. लेकिन यह कुछ ही सेक्टर को मिलेगा. केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा था कि ब्याज पर ब्याज के मामले पर रिजर्व बैंक निर्णय लेगा. सरकार ने सूची सौंपी है कि किन सेक्टर को आगे राहत दी जा सकती है. सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘हम ऐसे सेक्टर की पहचान कर रहे हैं जिनको राहत दी जा सकती है, यह देखते हुए कि उनको कितना नुकसान हुआ है.’ इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में अब और देर नहीं की जा सकती. 

क्या है पूरा मामला?

कोविड-19 महामारी के मद्देनजर, आरबीआई ने 27 मार्च को एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें कर्जधारकों को तीन महीने की अवधि के लिए किश्तों के भुगतान के लिए मोहलत दी गई थी.  22 मई को, RBI ने 31 अगस्त तक के लिए तीन महीने की मोहलत की अवधि बढ़ाने की घोषणा की, नतीजतन लोन EMI पर छह महीने के लिए ये मोहलत बन गई.  लेकिन सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा गया कि बैंक EMI पर मोहलत देने के साथ- साथ ब्याज लगा रहे हैं जो कि गैरकानूनी है. ईएमआई का ज्यादातर हिस्सा ब्याज का ही होता है और इस पर भी बैंक ब्याज लगा रहे हैं. यानी ब्याज पर भी ब्याज लिया जा रहा है. इसी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने RBI और केंद्र से जवाब मांगा था.