हनुमान मंदिर पर चल रही सियासत पर मेहता ने लगाया विराम

हिन्द सागर @ चतुर्भुजा पाण्डेय
मीरा-भाईंदर: मीरा भाईंदर में बी पी रोड स्थित इच्छा पूर्ति हनुमान मंदिर को लेकर गरमाई राजनीति पर आज नरेंद्र मेहता ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर खुलासा किया, उन्होंने कहा कि यह हनुमान मंदिर और उसके बगल में श्याम भवन बिल्डिंग है जिसमें मेरा बचपन गुजरा है, जो गिराई गई है। इस बिल्डिंग को लेकर काफी लोग आरोप प्रत्यारोप कर रहे हैं जबकि सच्चाई यह है की बिल्डिंग धोखाधायक हो गई थी इसको सोसाइटी वालों ने गिराया है यह बिल्डिंग अभी किसी भी बिल्डर को बनाने के लिए नहीं दी गई है। जबकि उसके बगल में स्थित हनुमान मंदिर मधु शर्मा का व्यक्तिगत मंदिर है यहां पर उनके कुल गुरु थे, जिसके लिए यह उनके परिवार द्वारा पूजनीय स्थान था।
जब बिल्डिंग के मालिक और हम बगल में रहने वाले रहवासी इस मामले में कुछ नहीं बोल रहे तो बाहर के लोग यहां आकर राजनीति क्यों कर रहे हैं? उन्होंने परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक का नाम लेते हुए कहा की प्रताप सरनाईक इस मामले में राजनीति कर रहे है वो पहले सच्चाई को जान ले उसके बाद ही मंदिर तोड़ने और बिल्डिंग बनाने पर रोज नया-नया बयान जारी करें। अन्यथा सोसाइटी वालों से लेकर वही बिल्डिंग बना लें।

मेहता के  बातों की पुष्टि करते हुए मंदिर के मालिक मधु शर्मा ने कहा कि इस स्थान पर पहले हमारे कुलगुरु की समाधि थी, उस समय यहां हम लोग पूजा पाठ करने आते थे, धीरे-धीरे इसको एक मंदिर का रूप दिया गया, यह मंदिर बिल्डिंग बनाने के काफी समय बाद बनाई गई थी। यह मंदिर हम लोगों ने बनाया था और आगे भी हम इसका देखभाल करेंगे। यह मसला सोसाइटी और मंदिर के बीच का है, हम लोग सोचेंगे की मंदिर किस प्रकार बनाना है। कृपया इसमें कोई बाहरी व्यक्ति राजनीति न करें।
ज्ञात हो की कुछ दिन पहले अचानक मंदिर तोड़े जाने की खबर से भाईंदर में सनसनी फैल गई थी, इसके बाद अंतरराष्ट्रीय विश्व हिंदू परिषद तथा राष्ट्रीय बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के साथ उद्योगपति ल शिवसेना नेता शंकर झा ने मंदिर पर जाकर आरती किया तथा मंदिर के लिए आंदोलन करने की बात कहा था। इसके कुछ दिन बाद ही कांग्रेस के राकेश राजपुरोहित ने भी दलबल के साथ जाकर मंदिर में आरती की और मंदिर तोड़ने वालों से के खिलाफ उग्र आंदोलन करने का चेतावनी दिया था।

रहवासियों में कहीं खुशी तो कहीं गम

इस मामले पर रहवासियों से बात करने पर पता चला की सोसाइटी ने बिना किसी सहमति के, बिना दस्तावेज या लिखित पत्र दिए ही बिल्डिंग को खाली कराकर तोड़ दिया है। अब बिल्डिंग कौन बनाएगा, कब बनेगा इस मामले में संशय बरकरार है। जिसके कारण बिल्डिंग प्रवासी अपने जीवन भर की पूंजी के लिए परेशान है।