भागवत कथा के दूसरे दिन राजा परीक्षित के प्रसंग सुन भाव-विभोर हुए भक्त
हिन्द सागर, बेंगलूरू: मागड़ी रोड अग्रहारा दासरहल्ली स्थित रामदेव प्रार्थना मंदिर में शीतल संत राजाराम महाराज के सान्निध्य में चल रही सात दिवसीय भागवत कथा के दूसरे दिन शीतल संत राजाराम ने कहा कि मनुष्य से गलती होना स्वाभाविक है। लेकिन समय रहते सुधार और प्रायश्चित न करने पर यही गलती पाप बन जाती है। शीतल संत ने कहा कि कलियुग के प्रभाव से परीक्षित को ऋषि का श्राप मिला। इसके पश्चाताप में वे शुकदेव जी की शरण में गए। उन्होंने कहा कि भक्ति सर्वश्रेष्ठ निवेश है। यह जीवन की परेशानियों का समाधान करती है और मृत्यु के बाद मोक्ष भी दिलाती है। शीतल संत ने द्वापर युग का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि धर्मराज युधिष्ठिर ने सूर्य देव की उपासना से अक्षय पात्र प्राप्त किया। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने हमेशा पृथ्वी का पूजन और संरक्षण किया। बदले में प्रकृति ने मानव की रक्षा की। उन्होंने यह भी कहा कि भागवत के श्रोता में जिज्ञासा और श्रद्धा होनी चाहिए। परमात्मा अदृश्य होकर भी सभी में निवास करते हैं। इस अवसर पर खिवाराम लुनिया, रामलाल लुनिया, प्रतापराम लुनिया, विष्णुलाल लुनिया, अशोक घोड़ेला, सम्पत ब्रान्दणा व रामदेव भक्त मंडल के बडी संख्या में सदस्य उपस्थित रहे।