स्वच्छता एक औषधि है

स्वच्छता एक औषधि है

हिन्द सागर/सोमनाथ चौरसिया/बेंगलुरू:जैसा कि हम सब जानते हैं कि स्वच्छता जीवन का एक महत्वपूर्ण गुण है। यदि वास्तविक रूप से देखा जाय तो प्रत्येक मनुष्य में यह एक आदत के रूप में होना चाहिए। यह भी सत्य है कि स्वच्छता एक व्यक्ति के धन से संबंधित नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी आदत है, जिसमें उन गुणों को दर्शाया जाता है जिनसे व्यक्ति समृद्ध होता है। “स्वच्छ भारत अभियान के दौरान हमारे देश के यशस्वी प्रधान मंत्री “मोदी” द्वारा चलाया गया अभियान वास्तव में स्वच्छता का एक मिशाल बन गया, जो सामाजिक और बौद्धिक स्वास्थ्य के लिए आसपास के क्षेत्रों और पर्यावरण की स्वच्छता का अभिन्न अंग भी बन गया, जो आम जन मानस की आवश्यकता बन चुकी है। जिसका अनुशरण करते हुए हर व्यक्ति अपनी आदतों में स्वच्छता लाने का प्रयास किया।और हर जगह से गंदगी को हमेशा के लिए हटा देने का संकल्प भी लिया, और हुआ भी वही जो संकल्प लिया गया। सबको पता है गंदगी ही विभिन्न बीमारियों की जननी है।हमें स्वच्छता के साथ कभी भी समझौता नहीं करना चाहिए, स्वच्छता उतनी ही आवश्यक है जितना हमारे लिए भोजन हवा और पानी ।
इन सब के बिना हमारा जीवन बिल्कुल अधूरा है।

*जहां स्वच्छता होती है वहां पर ईश्वर का वास होता है*

हम स्वच्छता को विभिन्न रूप में विभाजित कर सकते हैं।
जैसे- कपड़े की सफाई, सड़कों की सफाई, घरों की सफाई, आसपास की सफाई, व्यक्ति की सफाई, व्यक्तिगत सफाई आदि।इसलिए अपने आस -पास को गंदगी से मुक्त रखें, जब तन स्वस्थ रहेगा तो मन भी स्वस्थ होगा। और जब मन स्वस्थ होगा तभी व्यक्ति के जीवन में नयापन, समाजिकता, और सद्भाव विकसित होगा।
आइये हम सब मिलकर अपने आस-पास की गंदगी को हटायें, और अपने जीवन को धन्य बनायें।