हिन्द सागर, एजेंसी: पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों हिंदू-सिख और ईसाई बहुत बुरे हालात में जी रहे हैं। सिंध प्रांत में 8 साल की बच्ची से रेप और फिर उसकी आंखें नोंच लेने का मामले ने सारे पुराने जख्म कुरेद दिए हैं।
ये दो तस्वीरें पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों-हिंदू-सिख और ईसाइयों के खिलाफ बढ़ती धार्मिक हिंसा को दिखाती हैं। पहली तस्वीर किसी महिला को घसीटकर ले जाने की है। CAA यानी नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 को 11 दिसंबर 2019 को भारत की संसद द्वारा पारित किया गया था। इसके तहत पड़ोसी देशों में पीड़ित हिंदुओं-सिख को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है, लेकिन यह आसान नहीं दिखता। उदाहरण के तौर पर जनवरी 2022 से जुलाई 2022 तक 334 पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी वापस पाकिस्तान चले गए हैं। वे सरकारों की नियम-कायदे और इस मामले में ढुलमुल रवैये से दु:खी हैं।
This is #Pakistan, such incidents of derogatory & brutal treatment to the Hindu minorities or poor people happen on a daily basis. Some incidents get reported but most of the incidents remain hidden & unnoticed.#CAA #HindusUnderAttack pic.twitter.com/b3MSXVY9Rr
— KeepitDope_Singh (@WiseWolf_Rsingh) August 26, 2022
पाकिस्तान में ईशनिंदा
इस्लामी गणराज्य होने के नाते पाकिस्तान में कट्टरपंथी हावी हैं। पूर्व तानाशाह जनरल जिया उल हक ने ईशनिंदा कानून को सख्ती से लागू कराया था। इसके तहत कोई भी व्यक्ति जो पवित्र कुरान, या पैगंबर मोहम्मद या किसी पवित्र इस्लामी पुस्तक का लिखित या भाषण या कार्रवाई से अपमान करता है, उसे मौत की सजा दी जाएगी। इस ईशनिंदा कानून का इस्तेमाल ज्यादातर पाकिस्तान में हिंदू, सिख और ईसाई अल्पसंख्यकों के खिलाफ किया गया है।
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों-हिंदू, सिख और ईसाइयों का टॉर्चर अब खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। पिछले दिनों ईशानिंदा का आरोप लगाकर एक दलित हिंदू सफाईकर्मी अशोक कुमार के घर पर मुस्लिम कट्टरपंथियों की भीड़ ने हमला कर दिया था। चरमपंथी इस्लामिक समूह तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के समर्थकों ने आरोप लगाया कि अशोक कुमार ने पवित्र कुरान में आग लगाकर ईशनिंदा की थी। लेकिन जांच में पता चला कि अशोक कुमार ने पवित्र कुरान को नहीं जलाया था, बल्कि एक मुस्लिम महिला ने ऐसा किया था। पुलिस ने जांच में पाया कि बिलाल अब्बासी की अशोक कुमार के परिवार से पुरानी दुश्मनी थी। उसने ही ईशनिंदा का झूठा आरोप लगाया था। लेकिन पुलिस ने बिलाल अब्बासी और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई। बल्कि निर्दोष होते हुए अशोक कुमार को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था।
Fake case of #blasphemy against an innocent Hindu minority man lodged in at Rabia center, Saddar of Hyderabad in #Pakistan. Ashok Kumar works as a sweeper. TLP thugs came to kill the Hindu man but didn’t succeed. It was actually a Muslim woman who had burned the Islamist book. pic.twitter.com/BODLRGNjIf
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) August 21, 2022
पख्तूनख्वा में सामने आया था खौफनाक अपराध
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (DSGMC) के एक प्रतिनिधिमंडल ने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में एक सिख लड़की के अपहरण, बलात्कार और जबरन शादी के सिलसिले में पाकिस्तान के उच्चायुक्त एजाज खान से मुलाकात की थी। यह बैठक नई दिल्ली के चाणक्यपुरी में पाकिस्तान के उच्चायोग में हुई। DSGMC ने एक ज्ञापन में, पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से हिंदुओं और सिखों के लिए एक विशेष शिकायत प्रकोष्ठ के गठन की मांग की, ताकि उन्हें त्वरित न्याय मिल सके।
पाकिस्तान मानवाधिकार के मुताबिक, 2021 में ईशनिंदा के आरोप में 585 लोगों को पकड़ा गया। धार्मिक आधार पर 100 से ज्यादा मामले धार्मिक अहमदिया समुदाय के खिलाफ दर्ज हुए। इनमें तीन अल्पसंख्यकों को मार डाला गया। इस बीच जबरन धर्मांतरण के मामले भी बढ़े हैं। पंजाब प्रांत में यह तीन गुना बढ़े हैं। 2020 में 13 तो 2021 में ऐसी 36 घटनाएं दर्ज हुईं।