चिराग पासवान को इस चुनाव से क्या मिला? ये एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब देना थोड़ा मुश्किल है. विधानसभा चुनाव के रुझानों के हिसाब से देखें तो चिराग पासवान के हाथ कुछ ख़ास नहीं लगा है.
दिवंगत पिता रामविलास पासवान की बनाई लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) ने 147 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. लेकिन मौजूदा रुझानों को देखें तो ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि एलजेपी के हिस्से में दो-एक सीटें आ सकती हैं. सियासी उठापटक में इस बार चिराग पासवान नाकाम नज़र आ रहे हैं.
चुनाव से पहले तक एनडीए में शामिल रही एलजेपी ने नीतीश कुमार के ख़िलाफ़ मोर्चा खोला था लेकिन मौजूदा रुझानों के मुताबिक़ यही लग रहा है कि नीतीश बीजेपी की मदद से अपनी सीएम की कुर्सी बरकरार रख सकते हैं.
चिराग ने भले ही बीजेपी नेताओं के ख़िलाफ़ ज़्यादा कुछ न कहा हो लेकिन राघोपुर जैसी वीवीआईपी सीट पर बीजेपी ने तेजस्वी यादव की टक्कर में सतीश कुमार को चुनाव मैदान में उतारा लेकिन लोजपा ने भी एक ठाकुर उम्मीदवार राकेश रोशन को टिकट दिया.
ऐसा लग रहा है कि तेजस्वी राघोपुर से जीत जाएंगे लेकिन उनकी जीत का अंतर काफ़ी कम हो जाएगा क्योंकि एलजेपी के उम्मीदवार को मिले वोट संभवतः तेजस्वी के खाते से कटे हैं.
लेकिन क्या इन नतीज़ों को चिराग पासवान के लिए भला कहा जा सकता है? क्या चिराग अपने पिता रामविलास पासवान की सौंपी हुई विरासत को आगे ले जा पाए हैं? क्या चिराग पासवान मात्र छह फ़ीसद वोट शेयर के साथ बिहार और राष्ट्रीय राजनीति में प्रासंगिक रहेंगे?
रील से रियल लाइफ़ तक चिराग
उनकी ज़िंदगी का पहला सपना बिहार और राजनीति से बहुत दूर फ़िल्मी दुनिया में अपनी जगह बनाना था. बकौल चिराग, उन्होंने मुंबई में कई डांस और एक्टिंग की ट्रेनिंग भी ली थी. चिराग ने एमिटी यूनिवर्सिटी से बीटेक कोर्स में दाखिला ले लिया लेकिन सिनेमा के पर्दे का आकर्षण इतना मजबूत था कि चिराग ने बीटेक की पढ़ाई अधूरी छोड़ दी.
4 जुलाई 2011 को उनकी एक फ़िल्म रिलीज़ भी हुई जिसका नाम था ‘मिले न मिलें हम’, फ़िल्म में उनकी हीरोइन कंगना रनौत थीं. फ़िल्म को स्टार कास्ट के लिहाज से मजबूत माना जा रहा था, क्योंकि कंगना तब तक तनु वेड्स मनु से ख़ासी मशहूर हो चुकी थीं.
पिता राम विलास पासवान और माँ रीना शर्मा पासवान भी फ़िल्म के प्रमोशन में शामिल थे. उस दौर की एक तस्वीर काफ़ी लोकप्रिय है जिसमें चिराग पासवान के पिता राम विलास पासवान, माँ रीना पासवान और कंगना रनौत एक ही फ्रेम में खड़े दिखाई देते हैं लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद ये फ़िल्म बुरी तरह फ़्लॉप हुई.
लेकिन कहा जाता है कि ग़लती करने के बाद कुछ लोग ज़्यादा समझदार हो जाते हैं. संभवत: चिराग ने एक फ़्लॉप फिल्म से ही सीख ले ली कि फ़िल्म इंडस्ट्री उनके लिए नहीं है. संभव है कि एक फ़्लॉप फ़िल्म के अनुभव ने एक राजनेता के रूप में उन्हें अंदर से मजबूत किया.
इसके संकेत उनके एक इंटरव्यू में मिलते हैं. इस इंटरव्यू में जब उन्हें बताया जाता है कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी उनकी फ़िल्म के प्रीमियर में पहुँचे थे. इस पर चिराग हंसते हुए जवाब देते हैं, “ये उनकी हिम्मत थी कि वे गए.”