प्रश्नकाल क्या है ? 2020 के मॉनसून सत्र से पहले कब-कब नहीं हुआ

संसद का मॉनसून सत्र 14 सितंबर से शुरू हो रहा है। मॉनसून सत्र में प्रश्नकाल के निलंबन के बाद से ही विपक्ष हमलावर है और सरकार पर प्रश्नों से भागने का आरोप लगा रहा है। भले ही इस बार मॉनसून सत्र में संसद की कार्यवाही का अहम हिस्सा माना जानेवाला  प्रश्नकाल नहीं होगा, मगर शून्यकाल के जरिये सांसदों को अपने क्षेत्र के मुद्दे उठाने का मौका मिलेगा। शून्यकाल आधा घंटे का होगा। सरकार की तरफ से कहा गया है कि इस कम समयके सत्र में ज्यादा काम निपटाने के लिए ऐसा किया गया है, लेकिन विपक्ष को लग रहा है कि सरकार सवालों से बच रही है। हालांकि, तथ्य यह भी है कि ऐसा पहली बार नहीं है जब प्रश्नकाल संसद की कार्यवाही का हिस्सा नहीं होंगे। इससे पहले भी कई मौकों पर प्रश्नकाल संसद की कार्यवाही का हिस्सा नहीं रहे हैं।

क्या है प्रश्नकाल?

दरअसल, लोकसभा में संसद सत्र पहला घंटा यानी 60 मिनट सवाल पूछने के लिए होता है, जिसे प्रश्नकाल कहा जाता है। इस दौरान सांसद सरकार के कामकाज को लेकर संबंधित मंत्रियों से अपने सवालों का सीधे जवाब मांगते हैं और मंत्री जिनकी प्रश्नों का उत्तर देने की बारी होती है, वो खड़े होकर संबंधित सवाल का जवाब देते हैं। 

हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब संसद के सत्र से प्रश्नकाल को निलंबित किया गया है। इससे पहले विभिन्न कारणों से 1991 में और उससे पहले 1962, 1975 और 1976 में भी प्रश्नकाल नहीं हुआ था। 


  1962 शीतकालीन सत्र 
1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान संसद के शीतकालीन सत्र में प्रश्नकाल को छोड़ दिया गया था। चीन और भारत के बीच युद्ध 20 अक्टूबर को शुरू हुआ और 21 नवंबर तक चला। इसके अलावा, सत्र की टाइमिंग में भी बदलाव किया गया और 11 बजे की बजाय 12 बजे से सत्र शुरू हुआ। 34 दिन के बदले 26 दिन ही सत्र चल पाया था। 
 
1971 शीतकालीन सत्र
भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध के दौरान भी संसद में प्रश्नकाल को छोड़ दिया गया था। पाकिस्तान की हार और बांग्लादेश के जन्म की घोषणा तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लोकसभा में की थी। उस दौरान लोकसभा की कार्यवाही के समय को भी बदलकर दस बजे से 1 बजे तक कर दिया गया था। 

आपातकाल के दौरान भी प्रश्नकाल नहीं हुआ
इंदिरा गांधी के समय लगी इमरजेंसी के दौरान भी संसद का कम से कम दो सत्र बिना प्रश्नकाल के चला था। जून 1975 और मार्च 1977 के बीच-आपातकाल के दौरान पांच संसद सत्र आयोजित किए गए। 1975 के मॉनसून सत्र (आपातकाल की घोषणा के बाद पहला) में प्रश्नकाल नहीं था। इतना ही नहीं, 1976 में के विंटर सत्र में भी प्रश्नकाल नहीं था। 

2020 मॉनसून सत्र
संसद के मॉनसून सत्र के दौरान मंत्रियों द्वारा पूछे जाने वाले अतारांकित प्रश्न या लिखित प्रश्नों की अनुमति दी जाएगी मगर प्रश्नकाल रद्द रहेगा। यह फैसला विपक्ष के विरोध के बाद लिया गया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सरकार सवालों से भाग रही है और विपक्ष के अधिकारों का हनन कर रही है। 

प्रश्नकाल में कितने प्रक्रार के प्रश्न पूछे जाते हैं

तारांकित प्रश्न: संसद में सत्र के दौरान पूछे जाने वाला तारांकित प्रश्न वह होता है, जिसका सदस्य सदन में मौखिक उत्तर चाहता है और जिस पर तारांक लगा होता है। हालांकि, इसमें स्पीकर की अनुमति से क्रॉस प्रश्न (पूरक प्रश्न) की गुंजाइश होती है। ये प्रश्न ग्रीन कलर में प्रिंटेड होते हैं।

अतारांकित प्रश्न: तारांकित के उलट अतारांकित प्रश्न वह होता है, जिसका संसद सदस्य सदन में मौखिक उत्तर नहीं चाहता है। जवाब के लिए स्पीकर एक समय निर्धारित करते हैं। अतारांकित प्रश्न पर पूरक प्रश्न नहीं पूछे जा सकते हैं। 

अल्प सूचना प्रश्न:  तारांकित या अतारांकित प्रश्नों का उत्तर पाने के लिए सदस्य को 10 दिन पूर्व सूचना देनी पड़ती है, मगर इसमें कोई प्रश्न पूरे 10 दिन से कम की सूचना पर पूछा जा सकता है। अल्प सूचना प्रश्‍न, वह होता है जो बिना देरी के लोक महत्व से संबंधित होता है और जिसे एक सामान्य प्रश्‍न हेतु विनिर्दिष्ट सूचनावधि से कम अवधि के भीतर पूछा जा सकता है। एक तारांकित प्रश्‍न की तरह, इसका भी मौखिक उत्तर दिया जाता है, जिसके बाद पूरक प्रश्‍न पूछे जा सकते हैं।

गैर सरकारी सदस्‍य से प्रश्न: इसमें उन से प्रश्न किया जाता है जो मंत्री नहीं होते हैं। इसमें प्रश्‍न स्‍वयं सदस्‍य से ही पूछा जाता है और यह उस स्‍थिति में पूछा जाता है जब इसका विषय सभा के कार्य से संबंधित किसी विधेयक, संकल्‍प या ऐसे अन्‍य मामले से संबंधित हो जिसके लिए वह सदस्‍य उत्तरदायी हो।