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सामाजिक संस्था परहित चेरिटेबल सोसायटी के अध्यक्ष विशाल कुमार गुप्ता ने हजारों करोड़ के भूखंड हड़पने के मामले को उठाया ।
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संबंधित विभागों के भ्रष्ट अधिकारियों और कानून की आंखों में धूल झोंक कर गरीब आदिवासी,किसानों की जमीन हड़पने वाले गैर किसान पूंजीपति भूमाफियाओं के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की मांग।
कल्याण : कल्याण तहसील के कांबा ग्राम पंचायत स्थित किसानों, आदिवासियों की खेती की फर्जी किसान बनकर गैर किसान कुछ पूंजीपतियों द्वारा हड़पी गई 464 एकड़ जमीन का मुद्दा महाराष्ट्र के मानसून सत्र में भी गूंजा और समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विधायक अबू आसिम आजमी के सवालों के संबंधित विभाग के मंत्री चंद्र शेखर वामनकुले सही जबाव नहीं दे सके? और संबंधित अधिकारियों द्वारा दी गई गलत जानकारी पर ही आधारहीन और गोलमोल जबाव देकर मामले को टाल दिए। बता दें कि कल्याण तहसील के कांबा ग्राम पंचायत स्थित सर्वे नंबर 35,52,64,77,125 की कुल 464 एकड़ जमीन जिसकी कीमत तकरीबन 2000 करोड़ बताई जा रही हैं। उक्त किसान आदिवासियों की घर और खेती की जमीन को कुछ गैर किसान पूंजीपतियों द्वारा संबंधित विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी किसान बनकर हड़प ली गई है और सैकड़ों आदिवासी, किसानों को घर और खेती की जमीन से बेदखल कर दिया है। और सर्वे नंबर 35 में बसे सैकड़ों परिवारों को भी हटाने का माहौल बनाया जा रहा है। उक्त जमीन तीन,तीन बार सरकार जमा हो चुकी है। कोर्ट में संबंधित विभाग के अधिकारियों द्वारा सही साक्ष्यों द्वारा वस्तुस्थिति नहीं रखे जाने से फिर से पूंजीपतियों के हवाले हो गई है।
पीड़ितों की मांग पर गरीब आदिवासी किसानो को न्याय दिलाने के लिए हमेशा आगे रहने वाली सामाजिक संस्था परहित चेरिटेबल सोसायटी के अध्यक्ष विशाल कुमार गुप्ता ने हजारों करोड़ के भूखंड हड़पने के इस मामले को उठाया और संबंधित विभागों के भ्रष्ट अधिकारियों और कानून की आंखों में धूल झोंक कर गरीब आदिवासी,किसानों की जमीन हड़पने वाले गैर किसान पूंजीपति भूमाफियाओं के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करने और उक्त जमीन सरकार जमा करने एवं पीड़ितों को न्याय दिलाने की मांग की है ।इस मुद्दे को मानसून सत्र में उठाते हुए सपा विधायक अबू आसिम आजमी ने सवाल किए कि कांबा गांव स्थित गैर किसानों द्वारा फर्जी किसान बनकर किसान,आदिवासियों की 464 जमीन हड़पने के मामले में क्या कार्रवाई की गई है और कार्रवाई की जारही है।गैर किसानों को किसान प्रमाण जारी करने वाले संबंधित विभाग के अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है और क्या कार्रवाई की जा रही है।उक्त जमीन का निपटारा कब तक किया जायेगा? और पीड़ितों को कब तक न्याय मिल सकेगा? उक्त सवालों पर उत्तर देते हुए संबंधित विभाग के मंत्री चंद्र शेखर वामनकुले ने कहा कि उक्त जमीन आदिवासी जमीन नहीं है उक्त जमीन की कई बार खरीदी बिक्री हुई है और यह जमीन कई बार सरकार जमा हुई है। यह मामला हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जाने और निकाल के बाद वर्तमान में यह जमीन संजय चंद्रकांत शाह और देवराम कतोड़ सुरोसे के नाम हैं और अब कोई मामला प्रलंवित नहीं है। परहित चेरिटेबल सोसायटी के अध्यक्ष विशाल कुमार गुप्ता ने बताया कि मंत्री महोदय ने सच्चाई से परे संबंधित विभाग के अधिकारियों द्वारा दी गई गलत जानकारी के अनुसार अधिवेशन में गलत जानकारी दी है।क्यों कि उक्त जमीन के पुराने रिकॉर्ड सात बारा में आदिवासियों के नाम है जिससे यह साबित होता है कि उक्त जमीन आदिवासी जमीन है।और अभी भी कल्याण तहसील और प्रांत कार्यालय, उच्च न्यायालय, और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग तक मेरे द्वारा किए गए चार पांच मामले विचाराधीन हैं और भी अन्य पीड़ित लोगों द्वारा किए गए दर्जनों केस विभिन्न स्तर पर प्रालंवित है जिनका निपटारा होना अभी बाक़ी है।