शिव परिवार की ओर से ऑटो रिक्शा और टैक्सी चालकों के हितों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की मांग ।
ठाणे : शिव परिवार (रिक्शा-टैक्सी) कल्याण समिति ने आज एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की, जिसमें ऑटो रिक्शा और टैक्सी चालकों के हितों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की गई। जिसमें समिति के संयोजक एडवोकेट विनय कुमार सिंह, कमलेश सिंह, संतोष पाटील, आशीष सिंह,कमलेश पांडे, राजबली गुप्ता, सोनू सिंह, अशोक गिरी ,और काफी संख्या में चालक बैठक में शामिल हुए। उबर, ओला और अन्य थर्ड-पार्टी ऐप्स द्वारा चालकों के शोषण, किराया कटौती और अनुचित नियमों पर गहरी चिंता व्यक्त की गई। समिति ने सरकार से माँग की है कि सभी डिजिटल प्लेटफॉर्म सरकारी निगरानी में संचालित हों और सरकार की अनुमति से ही कार्य करें।
मुख्य माँगें:
1. डिजिटल प्लेटफॉर्म सरकार की निगरानी में चलें – उबर, ओला और अन्य कंपनियों के कामकाज पर सरकार का सीधा नियंत्रण हो, ताकि वे अपने मनमाने नियमों से चालकों का शोषण न कर सकें।
2. एक स्वतंत्र ‘रिक्शा-टैक्सी नियामक आयोग’ (Auto-Taxi Regulatory Commission) का गठन किया जाए, जो ऑटो और टैक्सी चालकों के अधिकारों की रक्षा करे।
3. किराए में पारदर्शिता लाई जाए – चालकों को उनके मीटर के अनुसार पूरा किराया मिले, जिससे किसी भी प्रकार की मनमानी और कमीशन कटौती को रोका जा सके।
4. डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए लाइसेंस अनिवार्य किया जाए – किसी भी कंपनी को सरकार की अनुमति के बिना ऑटो-टैक्सी बुकिंग सेवा चलाने की इजाजत न दी जाए।
5. चालकों की आय की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए, जिससे वे अपने परिवार का भरण-पोषण सम्मानजनक तरीके से कर सकें।
एडवोकेट विनय कुमार सिंह के नेतृत्व में आगे बढ़ेगा आंदोलन
बैठक में समिति के प्रमुख एडवोकेट विनय कुमार सिंह ने कहा:
“ओला, उबर जैसी कंपनियाँ अपने ऐप्स के जरिए चालक और ग्राहक के बीच बिचौलिया बनकर गलत फायदा उठा रही हैं। सरकार को इसे नियंत्रित करने के लिए कड़े कानून बनाने चाहिए। हम तब तक संघर्ष जारी रखेंगे, जब तक सरकार इस पर कार्रवाई नहीं करती। अगर जल्द समाधान नहीं निकला, तो हम सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे।”
✔ जल्द ही सरकार को ज्ञापन सौंपा जाएगा, जिसमें डिजिटल प्लेटफॉर्म को सरकार की निगरानी में लाने और एक नियामक आयोग बनाने की माँग होगी।
✔ कानूनी विकल्पों पर भी विचार किया जाएगा, ताकि चालकों को उनका उचित हक मिल सके।
✔ यदि माँगे नहीं मानी गईं, तो बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन और जन आंदोलन किया जाएगा।