हिन्द सागर भाईंदर। मीरा भयंदर विधानसभा क्षेत्र 145 से निर्दलीय चुनाव जीत कर आई महिला विधायक गीता जैन ने अपने चुनावी काल के दौरान मीरा भायंदर शहर वासियों के समक्ष शपथ लेते हुए 9 वचन दिया था। जो अभी तक वचन का “बोल वचन” ही साबित हो रहा है।
ज्ञात हो कि भाजपा पार्टी से निष्कासित नगर सेविका गीता जैन ने अपने ही पार्टी के विधायक नरेंद्र मेहता के खिलाफ निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में 2019 की विधानसभा चुनाव में शिरकत किया था। उस समय चुनावी वादों की झड़ी लगाते हुए महोदया ने आम जनता को शपथ के रूप में 9 वचन दिए थे।
पहला वचन- मैं वचन लेती हूं कि मैं जनता के लिए अस्पताल बनाऊंगी ना कि अपने लिए बनाऊंगी
परिणाम- अब जनता के लिए अस्पताल तो दूर लोग आम खाँसी बुखार की दवा लेने के लिए भी परेशान होते हैं। इससे बूरा हाल तो 2020 में कोविड-19 की भयानक महामारी में हुआ जब लोगों को प्राइवेट अस्पताल में जाने की सलाह दी जाती थी, जिसमे लाखों रुपए के बिल वनाकर अस्पतालो द्वारा जनता को लूटा जाता था। इसी दौरान एक ममला सुर्खियों में आया था जब कोविड-19 की मरीजों के लिज करोड़ों का तम्बू-कनात से बना हास्पिटल तो बनाया गया पर उसमें मरीजो के लिए डॉक्टर, एम्बुलेंस, स्टाफ तथा जरूरत का उपकरण नादारद था।
दूसरा वचन- मैं वचन देती हूं की जनता के लिए अच्छे स्कूल बनाऊंगी ना कि अपनी व्यक्तिगत कमाई के लिए कोई स्कूल बनाऊंगी।
परिणाम- जहाँ तक बात महोदया द्वारा स्कूल बनाने की है तो शहर की पूरी जनता जानती है कि कोविड-19 के दौरान स्कूल बंद होने के बावजूद भी स्कूलों द्वारा अभिभावकों से जबरन पूरा फीस वसूला जा रहा है। इसी समस्या को लेकर सामाजिक संस्था फाइट फाँर राइट के अध्यक्ष राजू विश्वकर्मा को अमरण अनशन पर बैठना पडा था। फिर भी आमदार महोदया को महामारी से त्रस्त अभिवावकों पर दया नहीं आई। जब ऐसी भयावह स्थिति मे महोदया ने जनता की सुध नहीं लिया तो स्कूल बनाने का लालीपाँप देना तो भविष्य की गर्त मे है।
तीसरा वचन- मैं वचन देती हूं की जनता के लिए अच्छे क्लब बनाऊंगी ना कि खुद की व्यापार और कमाई के लिए क्लब बनाउंगी।
परिणाम- महोदया खुद एक बिल्डर व्यापारी घराने से हैं। क्या महोदया बता सकती है कि उन्होंने कहाँ “जनता क्लब” बनाने का प्रस्ताव मंत्रालय से पास कराया है। क्लब की बात तो दूर जनता के लिए खेल के मैदान और गार्डन में लगे शारीरिक व्यायाम करने के उपकरण भी सुरक्षित व विकसित नहीं है।
चौथा वचन- मैं वचन देती हूं कि शहर में अच्छी सड़कें बनाऊंगी और वह भी वहां बनाऊंगी जहां उसकी जरूरत होगी ना कि अपने किसी विशेष फायदे के लिए बनाऊंगी।
परिणाम- जग जाहिर है कि महोदया के पति भरत जैन भवन निर्माता हैं। अब इतना जानकर किसी से पूछने की जरूरत नहीं है कि बिल्डर सभी रोड खुद के बिल्डिंग मे जाने के लिए ही बनाते हैं। महोदया भी पति के काम मे सहयोग करने के लिए ही शायद दलबदल करके नई पार्टी मे सदस्यता ग्रहण की हो।
पांचवाँ वचन- मैं वचन लेती हूं कि मै शहर में होने वाले विकास कार्य के किसी भी ठेकेदार के काम में कमीशन नहीं लूंगी ना ही किसी को लेने दूंगी।
परिणाम- अब यह बात तो ठेकेदार ही बता सकते हैं कि टेडर मे विधायक द्वारा कमीशन इस समय कितना लिया जा रहा है। ये कमीशन पहले से कम है कि जयादा ? पर दबी जबान मे ठेकेदारों द्वारा यह बात सुनने में आ रही है कि “अभी से अच्छा तो पहले ही था” अब तो “कमीशन भी दो गले पर तलवार भी लटकी रहती है”। ठेकेदारों के इस वक्तव्य से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि “वचन का पतन” कर कमीशन खोरी जोरों पर है।
छठवां वचन- मैं वचन देती हूं कि मैं लोगों के जमीनों पर कब्जा नहीं करूंगी ना ही किसी को करने दूंगी।
परिणाम- जहाँ तक रही जमीन कब्जे की बात तो ग्रामीण इलाके की जनता को भी समझ मे आता है कि जमीन कब्जा क्या है ? पर एक विकलांग की दुकान चोरी विधायक के आदमियों द्वारा किया जाय यह बात तो शहरी आदमियों के समझ मे नहीं आती।
मामला कुछ इस प्रकार है। अब से कुछ दिन पहले गोल्डन नेस्ट स्थित एक विक्लांग का पान टपरी (दुकान) ही चोरी हो जाता है। जिसको विधायक मैडम के आदमियों ने विधायक की ही प्रापर्टी मे छुपाकर रखा था। चोरी का मामला दर्ज कराने के बाद छानबीन में पकडे जाने पर विधायक पक्ष का यह कहना है कि उसको सेफ्टी के लिए रखा गया था। यह विधायक राज को शोभा नहीं देता। पाए गए पान की दुकान को वापस दिलाने गई समाज सेविका भावना तिवाड़ी तथा विकलांग के साथ भी विधायक के आदमियों ने बुरा भला कहते हुए पान गादी देने तथा वहां पर न रखने के लिए अपशब्द कहते हुए धमकी दिया। हद तो तब हो गई जब विधायक महोदया ने विकलांग की पान टपरी दिलाने के लिए रोड से पुलिस चौकी तक खाक छानने वाली समाजसेविका भावना तिवाड़ी पर “सेट हो गई” जैसा ओछे शब्द से भरा बयान दिया।
सातवां वचन- मैं वचन देती हूं कि मैं मेरे कार्यकाल में उत्तर भारतीय भवन का निर्माण कर आऊंगी अन्यथा दोबारा जनता के सामने मुंह नहीं दिखाऊंगी।
परिणाम- मिराभाईंदर मे उत्तर भारतीय भवन के नाम पर काफी समय से नेता जनता की भावनाओं से खिलवाड़ कर रहे है। जनता के इसी नाजुक नब्ज को दबाते हुए महोदया ने चुनाव में तडका लगाते हुए उत्तर भारतीय भवन बनवाने का वचन दिया था।
महोदया को चुनावी होश (विधायिका का पद) सभाले लगभग दो साल गुजर रहा है। पर अभी तक उत्तर भारतीय भवन के नाम का कहीं कोई नामोनिशान नहीं है। महोदया द्वारा किए गए इस तरह झूठे वादे से जनता खुद को ठगा हुआ सा महसूस कर रही
है।
आठवां वचन- मैं वचन लेती हूं कि फेरी वालों से अवैध वसूली नहीं करूंगी, उनसे कोई दादागिरी नहीं करेगा, सब्जी वालों को जहां जगह मिलना चाहिए वहां उनको ही बैठूंगी ना कि किसी अन्य लोगों को बैठाउंगी।
परिणाम- मिराभाईंदर मे फेरी वालो का मसला ऐसा है कि ये अपने ही शहर मे बेगाने बने हुए हैं। शहर मे फेरी वालो का मामला बहुत गंभीर है। (1) जब फेरी वालों से मनपा पावती वसूलती है तो फिय सैनिक सिक्योरिटी के डाकू इनपर आए दिन डाका क्यों डालते हैं?
(2) जब फेरी वालों से मनपा पैसे लेती है तो विधायक के नाम पर स्थानीय नगरसेवक पैसे क्यों वसूलते हैं?
(3) जब रहवासी जनता के अनुपात में फेरी वालो के लिए मानक बनाया गया है तो ये कथित फेरीवाले कहाँ से आ जाते हैं?
(4) अमूमन एक फेरी वाले की पूरी दुकान 10,000/- रुपए के आसपास होता है। इस दूकान को अगर फेरी वाला दस्ता द्वारा लूटकर तोडफोड देगा तो व्यापार से बर्बाद हुआ आदमी क्या करेगा, कभी सोचा है विधायक महोदया ने ?
(5) शहर मे फेरी वालों की समस्या के ही कारण ट्रैफिक जाम लगता है जिसके कारण रोड पर चलना मुश्किल हो जाता है।
फेरी वालो की हालत आज यह है कि बरसों से जो लोग धंधा लगाते आ रहे हैं वह धंधा नहीं लगा पा रहे हैं बल्कि उनकी जगह पर नेताओं के कुछ चंद जानकार लोग उनके धंधे की जगह पर कब्जा कर रहे हैं।
नौवां वचन- मैं वचन लेती हूं कि शहर का विकास करूंगी ना कि अपना खुद का विकास करूंगी।
परिणाम- आगज-ए-मुलतजा ऐसा है, तो अंजाम-ए-इंतहा रब जाने।
महोदया के लगभग दो साल के कार्यकाल में कोई बता सकता है कि गीता ज्ञान के द्वारा शहर मे कौन सा विकास कार्य हुआ है। आज भी लोग दबी जबान मे कहते हैं कि ये शहर का विकास जो हो रहा है वह मेहता जी के कार्यकाल का ही है। कुछ वुद्धिजीवियों तथा समाजसेवकों का कहना है की महोदया जनता से विमुख होकर सिर्फ अपने विकास कार्यों में लगी हुई है।
इस तरह नेता चुनावी माहौल में जनता से झूठे वादे कर सत्ता हासिल करते रहेंगे तो शहर की प्रगति शहर का विकास सब धरा रह जाएगा।
इस तरह से गीता जैन द्वारा दिए गए नौ “वचन के भजन” को जनता “बोल वचन” बता रही है।